bijli mahadev trek start ,बिजली महादेव की चढाई ये बिजली महादेव का रास्ता गांव से गुजरने के बाद करीब डेढ किलोमीटर रह जाता है । गांव के बा...
bijli mahadev trek start ,बिजली महादेव की चढाई
ये बिजली महादेव का रास्ता गांव से गुजरने के बाद करीब डेढ किलोमीटर रह जाता है । गांव के बाद रास्ते में करीब दस बारह दुकाने बनी है जो कि सारी की सारी बंद थी । वजह एक तो ये सीजन का टाइम नही था और दूसरी बात कि इस समय काफी सुबह का टाइम था और पर्यटक लोग काफी देर से आते हैं । वो कुल्लू , मनाली या मणिकर्ण से चलेंगें तो तब उन्हे यहां तक कम से कम दस तो बज ही जाते हैं पर मै तो मणिकर्ण से सुबह सवेरे निकल पडा था और यहां पर साढे आठ बजे ही पहुंच गया था ।
जैसे जैसे उपर की ओर चलते गये वन की संख्या बढती गयी । एक छोटा सा रास्ता बनाया हुआ है सीढियो की तरह का ही । चढाई मध्यम है ना ज्यादा भयंकर और ना ही बहुत आसान । चढाई खत्म होते ही खुला सा मैदान दिखने लगा और एक छोटा सा बुग्याल भी ।
मैदान मे एक ही जगह काफी सारी दुकाने लगी थी और एक छोटी सी झील भी बनाने की कोशिश की गयी थी । हो सकता है बरसात में वो गढढा भर जाता हो । मुझे रास्ते में तीन दो औरते और दो आदमी बच्चो के साथ मिले । वो अंबाला से थे । आदमी आगे निकल गये थे जबकि औरते कमर पर हाथ रखे चढी जा रही थी । मैने तेजी से उन्हे पार कर लिया और मंदिर की ओर बढ चला
ये बिजली महादेव का रास्ता गांव से गुजरने के बाद करीब डेढ किलोमीटर रह जाता है । गांव के बाद रास्ते में करीब दस बारह दुकाने बनी है जो कि सारी की सारी बंद थी । वजह एक तो ये सीजन का टाइम नही था और दूसरी बात कि इस समय काफी सुबह का टाइम था और पर्यटक लोग काफी देर से आते हैं । वो कुल्लू , मनाली या मणिकर्ण से चलेंगें तो तब उन्हे यहां तक कम से कम दस तो बज ही जाते हैं पर मै तो मणिकर्ण से सुबह सवेरे निकल पडा था और यहां पर साढे आठ बजे ही पहुंच गया था ।
जैसे जैसे उपर की ओर चलते गये वन की संख्या बढती गयी । एक छोटा सा रास्ता बनाया हुआ है सीढियो की तरह का ही । चढाई मध्यम है ना ज्यादा भयंकर और ना ही बहुत आसान । चढाई खत्म होते ही खुला सा मैदान दिखने लगा और एक छोटा सा बुग्याल भी ।
मैदान मे एक ही जगह काफी सारी दुकाने लगी थी और एक छोटी सी झील भी बनाने की कोशिश की गयी थी । हो सकता है बरसात में वो गढढा भर जाता हो । मुझे रास्ते में तीन दो औरते और दो आदमी बच्चो के साथ मिले । वो अंबाला से थे । आदमी आगे निकल गये थे जबकि औरते कमर पर हाथ रखे चढी जा रही थी । मैने तेजी से उन्हे पार कर लिया और मंदिर की ओर बढ चला
Well written and informative piece. Have not been able to visit this particular temple though have side-trekked this many a times. Looking forward to visiting this place someday soon.
ReplyDeletewww.bnomadic.wordpress.com