पाराशर से भुंतर का रास्ता बडा मनमोहक है । अपनी इस बाइक यात्रा के दौरान मैने इस रास्ते में भी काफी सुंदर पक्षी देखे
पाराशर से भुंतर का रास्ता बडा मनमोहक है । अपनी इस बाइक यात्रा के दौरान मैने इस रास्ते में भी काफी सुंदर पक्षी देखे मुझे अपनी बाइक में तेल कम लग रहा था इसलिये मैने पाराशर झील से कटोल तक ख्रराब रास्ता होते हुए भी बाइक को इंजन बंद करके की चलाया । कटोल से एक किलोमीटर पहले ही रास्ता भुंतर के लिये जाता है । इस रास्ते से मै चल पडा । भुंतर करीब 40 किलोमीटर दूर था और मेरी बाइक अभी रिजर्व में लगने वाली थी यानि की अगर अभी से मानूं तो डेढ लीटर तेल बाइक में था जिससे मै पहाउ का एवरेज तीस का भी मानूं तो भी आराम से जा सकता था पर दिमाग तो परेशान हो ही जाता है इसलिये मै फिर से किसी भी ढालान के आने पर फिर से इंजन बंद कर लेता था । मैने एक दो गांवो में रूककर पूछा भी कि क्या यहां पर खुले में पैट्रोल मिल जाता है पर वो नही था किसी भी गांव में
कटोल से करीब तीस किलोमीटर तक चढायी थी और उसके बाद दस किलोमीटर उतराई । जब उतराई शुरू हुई तो उसके बाद बारिश का मौसम हो गया और हल्की बुंदाबांदी शुरू हो गयी । मेरा भीगने का मन नही था पर मै बारिश की चाल देखता रहा । अगर ज्यादा होती तो मै रूक जाता पर ऐसा नही हुआ और वो केवल बुंदाबांदी होकर रह गयी । भुंतर में मैने पैट्रोल पंप पर तेल भरवाया ।
पैट्रोल पंप का सहायक मुझे देखकर कुछ हैरान सा हो रहा था । पर जब मैने उससे पूछा कि भाई बिजली महादेव किधर को पडेगा तो उसके शक दूर हो गये । हंसकर बोला . घूमने आये हो ?
हां
अकेले ?
हां
कहां से ?
यू पी
बाइक पर ?
इससे पहले उसकी चौडी आंखे और फटने को हो जाती मैने टापिक बदला क्या आप मुझे बिजली महादेव का रास्ता बताओगे ?
हां पर अब बिजली महादेव जाने में रिस्क है क्योंकि बारिश होने ही वाली लगती है
तो फिर ?
तुम मणिकरण चले जाओ
हम्म
ये तरीका भी सही था अभी दो बजे थे और मणिकरण जाने में बस एक घंटा लग सकता था ज्यादा से ज्यादा तो बाकी टाइम वहां पर रहना और सुबह वहां से निकलकर बिजली महादेव आ जाना । ये भी सही है इसलिये मैने मणिकरण के लिये बाइक चला दी ।
वैसे भुंतर शहर के आसपास कई दर्शनीय स्थान हैं जैसे बिजली महादेव , जगन्नाथ मंदिर , बशेश्वर महादेव मंदिर , चन्द्रखनी पास , आदि ब्रहमा मंदिर और त्रियुगी नारायण मंदिर । ये जगह भुंतर के आसपास ही है और इनके लिये भुंतर को बेस बनाया जा सकता है ।
कटोल से करीब तीस किलोमीटर तक चढायी थी और उसके बाद दस किलोमीटर उतराई । जब उतराई शुरू हुई तो उसके बाद बारिश का मौसम हो गया और हल्की बुंदाबांदी शुरू हो गयी । मेरा भीगने का मन नही था पर मै बारिश की चाल देखता रहा । अगर ज्यादा होती तो मै रूक जाता पर ऐसा नही हुआ और वो केवल बुंदाबांदी होकर रह गयी । भुंतर में मैने पैट्रोल पंप पर तेल भरवाया ।
पैट्रोल पंप का सहायक मुझे देखकर कुछ हैरान सा हो रहा था । पर जब मैने उससे पूछा कि भाई बिजली महादेव किधर को पडेगा तो उसके शक दूर हो गये । हंसकर बोला . घूमने आये हो ?
हां
अकेले ?
हां
कहां से ?
यू पी
बाइक पर ?
इससे पहले उसकी चौडी आंखे और फटने को हो जाती मैने टापिक बदला क्या आप मुझे बिजली महादेव का रास्ता बताओगे ?
हां पर अब बिजली महादेव जाने में रिस्क है क्योंकि बारिश होने ही वाली लगती है
तो फिर ?
तुम मणिकरण चले जाओ
हम्म
ये तरीका भी सही था अभी दो बजे थे और मणिकरण जाने में बस एक घंटा लग सकता था ज्यादा से ज्यादा तो बाकी टाइम वहां पर रहना और सुबह वहां से निकलकर बिजली महादेव आ जाना । ये भी सही है इसलिये मैने मणिकरण के लिये बाइक चला दी ।
वैसे भुंतर शहर के आसपास कई दर्शनीय स्थान हैं जैसे बिजली महादेव , जगन्नाथ मंदिर , बशेश्वर महादेव मंदिर , चन्द्रखनी पास , आदि ब्रहमा मंदिर और त्रियुगी नारायण मंदिर । ये जगह भुंतर के आसपास ही है और इनके लिये भुंतर को बेस बनाया जा सकता है ।
बहुत खूबसूरत, लगे रहो...
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteबधाई,आज के सिटी भास्कर भोपाल में आपका ब्लॉग छपा है
ReplyDeleteआज के फ़ोटो बेहद ही सुन्दर आये है। आज भोपाल से निकलने वाले अखबार दैनिक भास्कर में पराशर मन्दिर वाला लेख भी आया है।
ReplyDeleteअनुपम, अद़भुद, अतुलनीय, अद्वितीय, निपुण, दक्ष, बढ़िया ब्लाग
ReplyDeleteचलिये हम हो गये आज से भारत भ्रमण में आपके साथ
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Tyagi ji bike toh theek chal rahi hai na .Manikarnn me garmpani me naha bhi lena bhai.
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