भुंतर से मणिकर्ण वाले रास्ते पर पहले तो बारिश पडने लगी ।कसोल तक तो सडक बढिया थी पर कसोल से आगे सडक की चौडाई घट गयी थी
भुंतर से मणिकर्ण वाले रास्ते पर पहले तो बारिश पडने लगी । मैने एक ढाबे पर बाइक रोक ली और वहां पर चाय पी । बारिश कम सी लगी तो मैने अपने बैग से पन्नी निकालकर अपने कमर वाले बैग और बाइक वाले बैग पर बांध ली । इसके बाद मैने अपनी सर्दी की जैकेट जो कि पानी से भी बचाती है उसे पहन लिया । अब हल्की हल्की बारिश की कोई खास परवाह नही थी । रास्ते में कोई नाला नाम की जगह थी जहां से बिजली महादेव के लिये रास्ता जाता है । यहां पर नदी पर नया नया पुल बना था और उसी पुल से बिजली महादेव का रास्ता था पर ये रास्ता नया था और कच्चा था । मैने मणिकरण की बढिया सडक पकडनी ही ठीक समझी ।
मणिकरण के रास्ते में मैने सबसे ज्यादा जो चीज देखी वो थी नदी के दूसरी ओर बसे गांव जो कि हाइवे से दिखते तो पास हैं पर असल में बहुत दूर है क्योंकि वहां पर जाने के लिये पहले तो नदी में नीचे उतरना पडता है और फिर चढना । ऐसे में अगर सामान पहुंचाना हो तो और भी दिक्कत है
इसके लिये उन्होने देशी जुगाड टैक्नोलोजी अपनायी हुई है । लोगो ने अपने अपने गांव में एक इंजन से ट्राली लगायी हुई है । उसमें किराया लिया जाता है करीब 25 ईंट या इतने ही वजन के सामान के लिये 40 रूपये । बंदे का बढिया ध्ंधा और लोगो का फायदा भी । क्योंकि इसी काम के लिये खच्चर वाला 500 रूपये मांगता और समय भी आधा दिन लगता । इन ट्रालियो में कभी कभी लोग भी सवार होकर चले जाते हैं । एक ट्राली उपर जाती है तो एक नीचे आती है । काफी फास्ट सर्विस है इनकी
कसोल तक तो सडक बढिया थी पर कसोल से आगे सडक की चौडाई घट गयी थी । मणिकरण में जाकर मैने सडक के बराबर में उल्टे हाथ को जिधर नदी बह रही थी उसी साइड में सारा शहर बसा है वहां पर दूसरी तरफ जाने के लिये बस स्टैंड से आगे एक पुल है जो सीधा राम मंदिर को जाता है । उस पर बाइक भी चली जाती हैं । बाइक को मैने राम मंदिर के बाहर चौक पर खडा किया और राम मंदिर में ही कमरा ले लिया ।
आगे का वृतांत कल भी जारी
मणिकरण के रास्ते में मैने सबसे ज्यादा जो चीज देखी वो थी नदी के दूसरी ओर बसे गांव जो कि हाइवे से दिखते तो पास हैं पर असल में बहुत दूर है क्योंकि वहां पर जाने के लिये पहले तो नदी में नीचे उतरना पडता है और फिर चढना । ऐसे में अगर सामान पहुंचाना हो तो और भी दिक्कत है
इसके लिये उन्होने देशी जुगाड टैक्नोलोजी अपनायी हुई है । लोगो ने अपने अपने गांव में एक इंजन से ट्राली लगायी हुई है । उसमें किराया लिया जाता है करीब 25 ईंट या इतने ही वजन के सामान के लिये 40 रूपये । बंदे का बढिया ध्ंधा और लोगो का फायदा भी । क्योंकि इसी काम के लिये खच्चर वाला 500 रूपये मांगता और समय भी आधा दिन लगता । इन ट्रालियो में कभी कभी लोग भी सवार होकर चले जाते हैं । एक ट्राली उपर जाती है तो एक नीचे आती है । काफी फास्ट सर्विस है इनकी
कसोल तक तो सडक बढिया थी पर कसोल से आगे सडक की चौडाई घट गयी थी । मणिकरण में जाकर मैने सडक के बराबर में उल्टे हाथ को जिधर नदी बह रही थी उसी साइड में सारा शहर बसा है वहां पर दूसरी तरफ जाने के लिये बस स्टैंड से आगे एक पुल है जो सीधा राम मंदिर को जाता है । उस पर बाइक भी चली जाती हैं । बाइक को मैने राम मंदिर के बाहर चौक पर खडा किया और राम मंदिर में ही कमरा ले लिया ।
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jai shri ram. kuch photo aur post karne chaiya tha. kasol bhi sunder jageh hai vase vahe vidashi jyada rehte hai.good going
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