गुरू पदमसंभव गुफा और अर्जुन गुफा दोनो के लिये सरिकाधार से थोडा सा आगे चलते ही रास्ता बना है । यही रास्ता नैना देवी के लिये आगे चला जाता है जबकि नैना देवी यहां से जाने के लिये सीढियो का रास्ता भी बना है । जब मै यहां पर पहुंचा तो अपनी बाइक मैने यहां की पार्किंग में लगा दी । कुछ सीढिया च
पदमसंभव केव के उपर रखे पत्थर |
गुरू पदमसंभव गुफा और अर्जुन गुफा दोनो के लिये सरिकाधार से थोडा सा आगे चलते ही रास्ता बना है । यही रास्ता नैना देवी के लिये आगे चला जाता है जबकि नैना देवी यहां से जाने के लिये सीढियो का रास्ता भी बना है । जब मै यहां पर पहुंचा तो अपनी बाइक मैने यहां की पार्किंग में लगा दी ।
कुछ सीढिया चढकर मै नैना देवी की ओर जा रही सीढियो से उपर की ओर जा रही सीढियो पर चढकर पदमसंभव गुफा में पहुंच गया । यहां पर बुद्ध लोगो ने अपने गुरू की गुफा में पूजा अर्चना का स्थान बना रखा है । कुछ लोग और भी उस गुफा में बैठे हुए थे जो कि ध्यान कर रहे थे । अंग्रेजो का एक ग्रुप उसी समय वहां पर था जिसे उनके गाइड ने एक एक दिया जलवाया उन सबसे । ना मैने उनसे कहा और ना उन्होने मुझे टोका कि तुम भी दिया जला दो ।
फिर मै वहीं पास में बुद्ध लोगो के बने आश्रम में पहुंचा । यहां पर भी दो अंग्रेज परिवार थे जो कि स्वीडन से थे उनसे बात करने पर पता चला कि वो करीब छह महीने से भारत में अलग अलग जगहो पर घूम रहे हैं । तभी मुझसे एक बौध्ध महिला ने पूछा कि क्या मै नमकीन चाय पियूंगा ? मैने हां भर दी तो उसने मुझे एक कप चाय जिसमें चीनी की बजाय नमक था वो दे दी ।
मुझे बुरी तो लगी पर मै पी गया । उसके बाद मै उपर की ओर गया तो वही गाइड अपने ग्रुप को एक जगह पर काफी सारी अगरबत्ती दिये हुए था और जैसे जैसे वो कह रहा था वैसे वेसे ही वो लोग पूजा कर रहे थे । मुझे उसमें कोई रूचि नही थी इसलिये मै ज्यादा देर वहां पर नही रूका और नैना देवी की ओर चल दिया
कभी कभी ये नजारे खूबसूरती की हदे पार कर देते हैं |
ये कौन सी पूजा है मै नही जानता पर ये लोग पूरी तल्लीनता से लगे हुए थे |
सरिकाधार का मनोरम दृश्य |
सरिकाधार का पैनोरोमिक नजारा |
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