रिवालसर की झील का चक्कर लगाना शुरू किया तो हर एंगल से अलग ही नजारा मिला । जब मंदिर के कोने पर गया तो हिंदू धर्म के अनुयायियो की भीड और जब गुरूद्धारे के पास तो बुद्ध धर्म को मानने वालो की भीड । गुरूद्धारे के पास तो मेला भी था और कई लोगो ने तो बाकायदा झील के किनारे ही डेरा जमा रखा था । मुझे रात से लेकर अब तक रिवालसर के किनारे घूमने में काफी मजा आ रहा था ।
रिवालसर की झील का चक्कर लगाना शुरू किया तो हर एंगल से अलग ही नजारा मिला । जब मंदिर के कोने पर गया तो हिंदू धर्म के अनुयायियो की भीड और जब गुरूद्धारे के पास तो बुद्ध धर्म को मानने वालो की भीड । गुरूद्धारे के पास तो मेला भी था और कई लोगो ने तो बाकायदा झील के किनारे ही डेरा जमा रखा था । मुझे रात से लेकर अब तक रिवालसर के किनारे घूमने में काफी मजा आ रहा था ।
झील के हर एंगल से अलग ही आनंद और व्यू था । मुझे सोचना पड रहा था कि मै अपना फोटो भी लूं यहां पर या नही । फिर एक अंग्रेज आता दिखायी दिया मैने उसी से पूछा । कमाल था वो कैमरे के बारे में ज्यादा नही जानता था । गुरू पदमसंभव की मूर्ति को बैकग्राउंड में लेने के लिये मैने उसे कैमरा दिया आटो मोड में करके तो उसमें मेरे चेहरे पर अंधेरा आ रहा था और मैन्यूअल मोड में वो खींच नही पा रहा था सो जैसे तैसे करके उसने मेरे एक दो फोटो लिये मैने इसी के लिये उसे धन्यवाद दिया
झील के हर एंगल से अलग ही आनंद और व्यू था । मुझे सोचना पड रहा था कि मै अपना फोटो भी लूं यहां पर या नही । फिर एक अंग्रेज आता दिखायी दिया मैने उसी से पूछा । कमाल था वो कैमरे के बारे में ज्यादा नही जानता था । गुरू पदमसंभव की मूर्ति को बैकग्राउंड में लेने के लिये मैने उसे कैमरा दिया आटो मोड में करके तो उसमें मेरे चेहरे पर अंधेरा आ रहा था और मैन्यूअल मोड में वो खींच नही पा रहा था सो जैसे तैसे करके उसने मेरे एक दो फोटो लिये मैने इसी के लिये उसे धन्यवाद दिया
Sunder Chitra
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