बलि की प्रथा बहुत बुरी है पर आज भी हिमाचल के और उत्तरांचल के मंदिरो में अपने पैर पसारे हैं । देवभूमि कहलाने वाले इन पहाडो में इस कुप्रथा के बारे में मै जानता तो था पर इस बार की हिमाचल यात्रा में तो गजब ही हो गया था । इस पूरी यात्रा में तीन जगह मुझे ब
बलि की प्रथा बहुत बुरी है पर आज भी हिमाचल के और उत्तरांचल के मंदिरो में अपने पैर पसारे हैं । देवभूमि कहलाने वाले इन पहाडो में इस कुप्रथा के बारे में मै जानता तो था पर इस बार की हिमाचल यात्रा में तो गजब ही हो गया था ।
इस पूरी यात्रा में तीन जगह मुझे बलि होती हुई मिली । पहली बार पाराशर मंदिर में जब मै मंदिर में घूम रहा था तो वहां पर कई लोग बकरो और भेडो को लिये हुए थे । उन पर मंदिर का पुजारी मंत्र पढकर जल छिडकता था और उसके बाद लोग सांस रोककर इंतजार करते थे । इंतजार था बकरे या भेडा जो भी जानवर है उसके झुरझुरी लेने का । झुरझुरी लेने का मतलब उनकी नजर में होता है कि बलि देवता ने स्वीकार कर ली है ।
अगर जानवर झुरझुरी नही लेता है तो उस जानवर की बलि नही चढायी जाती है । इसे बलि् चढाने वाले की श्रद्धा में कमी भी माना जाता है । शर्म का विषय भी हो जाता है । पानी भी एक चुल्लू भर ही होता है पर जैसे ही जानवर ने झुरझुरी ली वैसे ही वे लोग उसे मंदिर के पास के एक कोने में ले गये । मै भी कौतुहूल वश उनके पीछे इस पूरी प्रक्रिया को देखने चला गया । दो जानवर थे जिनमें से एक के पैर को एक आदमी ने पकड लिया और दूसरे ने उसकी गर्दन पर वार किया । पता नही मेरे दिमाग ने क्या काम किया कि मैने कैमरा आन करके बस्ट मोड आन करके फोटो लिया । मेरे कैमरे में बस्ट मोड में एक सैकेंड में 13 फोटो ले सकता है और उसने एक एक पल को कैद कर लिया । उसके बाद मैने इसका एच डी में वीडियो भी लिया ।
वैसे मै पूर्णत शाकाहारी हूं और इससे पहले मैने बलि तो क्या किसी जानवर को कटता भी नही देखा । मै तो डिस्कवरी चैनल भी बदल देता हूं जब कोई जानवर किसी दूसरे जानवर को खाता दिखाते हैं पर उस दिन मुझे उन पर गुस्सा भी आ रहा था पर मै क्या कर सकता था वे बहुत सारे लोग थे और इसका आनंद ले रहे थे ।
इतने में मुझे एक आदमी ने बोला कि आप फोटो क्यों ले रहे हो ?
मैने कहा कोई आपत्ति है क्या ? बोला हां ये अलाउड नही है
मैने पूछा कहां लिखा है ? बोला लिखा तो नही है पर आप ये नही ले सकते ।
मै भी थोडा गर्माकर बोला कि तुम लोग एक सार्वजनिक स्थान पर ये काम खुलेआम कर सकते हो और मै इसका फोटो नही ले सकता बताओ क्यों? बस फिर उसका बोल नही निकला
मन्नत मांगना और उसके पूरा होने के बाद एक जानवर की बलि देना और फिर उसकी बोटी बोटी काटकर प्रसाद के रूप में ले जाना और खाना क्या गंदी प्रथा है थू है ऐसी मन्नत पूरी होने पर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (29-05-2013) बुधवारीय चर्चा ---- 1259 सभी की अपने अपने रंग रूमानियत के संग .....! में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ye dunia ye mahfil mere kaam ki nahi.............
ReplyDeleteमनु जी....
ReplyDeleteभारत के अधिकतर जगह पर मंदिरों में बलि प्रथा खत्म कर दी गयी है.... पर हिमाचल में अभी भी यह जारी है....जानकर बड़ा दुःख हुआ....|
Sirf himachal aur kumaon hi nahi balki nepal me bhi yeh kupratha abhi tak zinda hai....jo hindu dharam jaise pashuo ke parti karuna rakhne walon par ek daag jaisa hai!
Deleteहमारे उत्तराखंड में अब बहुत से जगह यह प्रथा लोंगों से खुद ही समझ बुझ कर बंद कर दी हैं लेकिन अब भी बहुत जगह ऐसे हैं जहाँ यह प्रथा बदस्तूर चल रही हैं वहां लोगों को समझाना पत्थर पर सर पटकने जैसा है ....शिक्षा का दायरा जैसे धीरे धीरे बढेगा लोग जरुर समझ सकेंगे ऐसे मेरा मानना है ...मैं भी जब ऐसे किसी द्रश्य को देखती हूँ तो अपने और से उन्हें समझाने की पूरी कोशिश करती हूँ .....
ReplyDeleteबहुत बढिया सर...आपने मंडी को बहुत खुबसूरती से देखा है....
ReplyDeleteमैने कुछ दशाव्दी पूर्व विन्ध्याचल के काली मन्दिर तथा पूर्णागिरी- मन्दिर ९उत्तरान्चल) में बलि देखी है |पूर्णागिरी के मंदिर में तो यह घिनौनी प्रथा समाप्त हो गयी है पर, विन्ध्याचल में पता नहीं | गुहाटी (असम) के कामाख्या देवि के मन्दिर तो इस प्रथा के लिये सम्पूर्ण भारत में प्रथम है |मैने जो देखा तो अच्छा नहीं लगा !
ReplyDeletebad real bad this happening in India in 2013 deeply shocked with the pics.
ReplyDeleteअज्ञानी और मुर्ख लोगो से दूरी भली
ReplyDeleteSacrifices of animals must be banned at such places,its really heartbreaking to see such a sight
ReplyDeleteHimachal is not like a DEV BHUMI it's more like a SHAITAN PUJAK land.
ReplyDeleteAlmost every tepmles in Himachal sacrifice innocent animals.
In Manali...even today every year a bufalo is sacrifice in front of Hadimba mandir.
This sacrifice is big stigma on hindu religion.This kind of cruelty only possible in Hindu and Islam.
Maine to parashar mandir main kahin bali...or bakre bhi nhi dekhe
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