जहां भुवनेश्वर राजधानी होने की वजह से बडे बडे शापिंग माल्स और मल्टी प्लेक्स से घिरी है वहीं पुरी में अभी भी मनोरंजन करने वालो के लिये सिनेमा हाल के नाम पर यही पुराने हाल हैं जिनमें लोकल भाषा की फिल्मे ज्यादा चलती हैं
पुरी शहर में हमने अब भी एक बार फिर से लूना मोपेड देखी । दिल्ली एन सी आर में एक तो ये लुप्तप्राय हो चुकी हैं दूसरे अगर कोई इस पर चलता हुआ मिल भी जाये तो उसे हीन भावना से ही देखा जाता है क्योंकि यहां की रफतार की दुनिया है और ऐसे में मोपेड का चलाना पिछडेपन की निशानी है । पुरी में इसे देखकर मन खुश हो गया क्योंकि मुझे वो एड अब भी याद आ जाता है कि चल मेरी लूना
पुरी शहर में पर्यटको का आना जाना साल भर लगा रहता है इसलिये यहां की मेन रोड जो कि गुंडिचा मंदिर से पुरी के मुख्य जगन्नाथ मंदिर तक जाती है और काफी चौडी है के दोनो ओर काफी रौनक होती है । यहां मंदिर के पास ही खाजा भी मिलता है और नरेन्द्र सरोवर को जाने वाले रास्ते पर इसकी दुकाने हैं ।
हम जब पहुंचे तो काफी गर्मी थी पर जब हम स्टेशन से पुरी मंदिर के पास पहुंचे तो अचानक बादल से घिर आये थे । यहां का मौसम बदलते देर नही लगती ।
जहां भुवनेश्वर राजधानी होने की वजह से बडे बडे शापिंग माल्स और मल्टी प्लेक्स से घिरी है वहीं पुरी में अभी भी मनोरंजन करने वालो के लिये सिनेमा हाल के नाम पर यही पुराने हाल हैं जिनमें लोकल भाषा की फिल्मे ज्यादा चलती हैं ।
पुरी शहर में पर्यटको का आना जाना साल भर लगा रहता है इसलिये यहां की मेन रोड जो कि गुंडिचा मंदिर से पुरी के मुख्य जगन्नाथ मंदिर तक जाती है और काफी चौडी है के दोनो ओर काफी रौनक होती है । यहां मंदिर के पास ही खाजा भी मिलता है और नरेन्द्र सरोवर को जाने वाले रास्ते पर इसकी दुकाने हैं ।
हम जब पहुंचे तो काफी गर्मी थी पर जब हम स्टेशन से पुरी मंदिर के पास पहुंचे तो अचानक बादल से घिर आये थे । यहां का मौसम बदलते देर नही लगती ।
जहां भुवनेश्वर राजधानी होने की वजह से बडे बडे शापिंग माल्स और मल्टी प्लेक्स से घिरी है वहीं पुरी में अभी भी मनोरंजन करने वालो के लिये सिनेमा हाल के नाम पर यही पुराने हाल हैं जिनमें लोकल भाषा की फिल्मे ज्यादा चलती हैं ।
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