nandgaon,mathura,vrindavan,gokul, up, हमारा अगला पडाव था नंदगांव । श्रीकृष्ण जन्मभूमि देखने के बाद हम सीधे नंदगांव पहुंचे । नंदगांव में बस काफी दूर रह गयी और हम सब गांव की छोटी छोटी गलियो में से गुजरते हुए कुछ उंचाई पर बने नंद गांव के नंद महल में पहुंच गये ।
हमारा अगला पडाव था नंदगांव । श्रीकृष्ण जन्मभूमि देखने के बाद हम सीधे नंदगांव पहुंचे । नंदगांव में बस काफी दूर रह गयी और हम सब गांव की छोटी छोटी गलियो में से गुजरते हुए कुछ उंचाई पर बने नंद गांव के नंद महल में पहुंच गये ।
यहां पर लस्सी मिलती है जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होती है और सस्ती भी । वैसे इस पूरी यात्रा के दौरान हमने खाने में दही और लस्सी के साथ साथ दूध का भरपूर आनंद उठाया क्योंकि पूरे वृंदावन क्षेत्र में काफी सारी गौशालाये हैं जिनमें हजारो की संख्या में गायें रहती हैं और यहां गाय ही ज्यादातर घरो में भी पाली जाती हैं इसलिये यहां पर दूध की बहुतायत है।
यहां हमने वो स्थान देखा जहां पर उनकी छटी पूजी गयी थी और इसी महल में उन्होने घुटनो के बल चलना सीखा था । यहां पर भी बस का एक नियत समय निश्चित था जिसमें हमें उस महल को देखकर आना था । हमारे गाइड महाशय थोडा सटके हुए थे और वो देर से आने वालो को काफी चिढाते थे इसलिये कोई कुछ ना कहे हम जल्दी से जल्दी करते थे देखने के लिये । इस पूरे क्षेत्र में हर जगह कृष्ण जी से जुडी हुई है । कहीं पर वो तालाब है जिसमें कृष्ण जी किनारे पर लीलाये करते थे तो कहीं पर वृक्ष हैं जिनके बारे में कथाये प्रचलित हैं ।
यहां पर लस्सी मिलती है जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होती है और सस्ती भी । वैसे इस पूरी यात्रा के दौरान हमने खाने में दही और लस्सी के साथ साथ दूध का भरपूर आनंद उठाया क्योंकि पूरे वृंदावन क्षेत्र में काफी सारी गौशालाये हैं जिनमें हजारो की संख्या में गायें रहती हैं और यहां गाय ही ज्यादातर घरो में भी पाली जाती हैं इसलिये यहां पर दूध की बहुतायत है।
यहां हमने वो स्थान देखा जहां पर उनकी छटी पूजी गयी थी और इसी महल में उन्होने घुटनो के बल चलना सीखा था । यहां पर भी बस का एक नियत समय निश्चित था जिसमें हमें उस महल को देखकर आना था । हमारे गाइड महाशय थोडा सटके हुए थे और वो देर से आने वालो को काफी चिढाते थे इसलिये कोई कुछ ना कहे हम जल्दी से जल्दी करते थे देखने के लिये । इस पूरे क्षेत्र में हर जगह कृष्ण जी से जुडी हुई है । कहीं पर वो तालाब है जिसमें कृष्ण जी किनारे पर लीलाये करते थे तो कहीं पर वृक्ष हैं जिनके बारे में कथाये प्रचलित हैं ।
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ReplyDeleteआज से आरम्भ हुई बाइक की लम्बी हिमाचल यात्रा के लिये शुभ कामना,
ReplyDeleteअरे यहाँ तो हम भी नहीं गये थे।
मंदिर परिसर काफी बड़ा और भव्य लग रहा है...
ReplyDeleteवाकई बृज भूमि की लस्सी की तो बात ही कुछ और हैं...
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