बरसाना मथुरा से 50 किमी और गोवर्धन से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । हमारा अगला पडाव बरसाना का राधा रानी का महल था ।नंदगांव के गोप बरसाने गांव में आते हैं तो बरसाने की गोपियां उन पर लठो से वार करती है और गोप उनसे अपना बचाव करते हैं । इसी को लठमार होली कहा जाता है ।
बरसाना मथुरा से 50 किमी और गोवर्धन से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । हमारा अगला पडाव बरसाना का राधा रानी का महल था । चूंकि पैकेज बस की तरह का टूर था और एक ही दिन में ब्रज की यात्रा करनी थी तो मुख्य मुख्य सभी स्थान दिखाने थे इसलिये समय का ध्यान भी रखना जरूरी था ।
बरसाना की पहचान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा जी के गांव के रूप में है उन्हे प्यार से लाडली श्री राधे भी कहा जाता है । ब्रहमा पर्वत के ढालान वाले हिस्से पर बसा हुआ है बरसाना गांव ।
जन्माष्टमी की तरह राधाअष्टमी पर यहां काफी धूमधाम होती है । भादो या भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाअष्टमी मनायी जाती है । यहां की लठठमार होली काफी प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिये विदेशो तक से लोग आते हैं और इसका पूरा आनंद लेते हैं वैसे तो यहां पर होली का उत्सव काफी दिन पहले से शुरू हो जाता है पर मुख्य पर्व तो होली के दिन ही मनाया जाता है ।
इस होली में दिन की शुरूआत तो रंग और पानी लगाने से ही होती है पर उसके बाद नंद गांव के पुरूष जिन्हे गोप कहा जाता है और बरसाने की स्त्रियां जिन्हे गोपी कहा जाता है उनके बीच में मुकाबला होता है । नंदगांव के गोप बरसाने गांव में आते हैं तो बरसाने की गोपियां उन पर लठो से वार करती है और गोप उनसे अपना बचाव करते हैं । इसी को लठमार होली कहा जाता है ।
बरसाना की पहचान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा जी के गांव के रूप में है उन्हे प्यार से लाडली श्री राधे भी कहा जाता है । ब्रहमा पर्वत के ढालान वाले हिस्से पर बसा हुआ है बरसाना गांव ।
जन्माष्टमी की तरह राधाअष्टमी पर यहां काफी धूमधाम होती है । भादो या भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाअष्टमी मनायी जाती है । यहां की लठठमार होली काफी प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिये विदेशो तक से लोग आते हैं और इसका पूरा आनंद लेते हैं वैसे तो यहां पर होली का उत्सव काफी दिन पहले से शुरू हो जाता है पर मुख्य पर्व तो होली के दिन ही मनाया जाता है ।
इस होली में दिन की शुरूआत तो रंग और पानी लगाने से ही होती है पर उसके बाद नंद गांव के पुरूष जिन्हे गोप कहा जाता है और बरसाने की स्त्रियां जिन्हे गोपी कहा जाता है उनके बीच में मुकाबला होता है । नंदगांव के गोप बरसाने गांव में आते हैं तो बरसाने की गोपियां उन पर लठो से वार करती है और गोप उनसे अपना बचाव करते हैं । इसी को लठमार होली कहा जाता है ।
आज तो फ़ोटो अत्यधिक विशाल हो गये है।
ReplyDeleteHey there,
ReplyDeleteNice blog
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vaishno devi mandir history in hindi