हम जंगल में से जो चाहे ले सकते हैं जैसे लकडी और घास जो जरूरी चीज हैं वो तो हैं पर उससे नकद पैसो की समस्या तो नही हल होती ? हां यहां पर काफी लोग जडी लाने का धंधा करते हैं जडी ? हां कीडा जडी बोलते हैं उसे । वैसे तो यहां पर कई तरह की जडी मिलती है जिसकी पहचान यहां का पैदाइशी निवासी होने की वजह से हम लोगो को है ही पर कीडा जडी की सबसे ज्यादा मांग है क्योंकि उसे पुरूषत्व बढाने वाली माना जाता है और चीन आदि देशो में उसकी मांग काफी ज्यादा है वो दस लाख रूपये किलो तक बिक जाती है मेरा मुंह फटा का फटा रह गया हां साहब उसके अलावा और भी जडिया हैं जो
वाण गांव औषधियो और वनस्पतियो के मामले में काफी समृद्ध है । वैसे यहां के निवासी किसी को ये बात ज्यादा खुलकर नही बताते हैं पर कुंवर सिंह हमारे साथ था । कई बार उससे बात हुई तो मैने यही पूछा कि यहां के लोगो की आजीविका का साधन क्या है तो वो हंसने लगता । मुख्य रूप से तो यहां के लोग रूपकुंड का बेस कैम्प होने की वजह से पर्यटको के साथ गाइड और घोडो से रोजगार कमाते हैं ।
वैसे यहां से चढाई शुरू होने के बावजूद भी यहां पर कोई लगजरी सुविधा नही है उसकी वजह मै अगली पोस्ट में बताउंगा पर जब मैने कुंवर सिंह से ज्यादा कुरेदकर पूछा तो उसने बताया कि यहां जो ये जंगल है ये उनके अन्नदाता हैं
वो कैसे ?
हम जंगल में से जो चाहे ले सकते हैं जैसे लकडी और घास जो जरूरी चीज हैं
वो तो हैं पर उससे नकद पैसो की समस्या तो नही हल होती ?
हां यहां पर काफी लोग जडी लाने का धंधा करते हैं
जडी ?
हां कीडा जडी बोलते हैं उसे । वैसे तो यहां पर कई तरह की जडी मिलती है जिसकी पहचान यहां का पैदाइशी निवासी होने की वजह से हम लोगो को है ही पर कीडा जडी की सबसे ज्यादा मांग है क्योंकि उसे पुरूषत्व बढाने वाली माना जाता है और चीन आदि देशो में उसकी मांग काफी ज्यादा है वो दस लाख रूपये किलो तक बिक जाती है
मेरा मुंह फटा का फटा रह गया
हां साहब उसके अलावा और भी जडिया हैं जो कीमती हैं पर कीडा जडी एक विशेष सीजन में केवल दस या पन्द्रह दिनो में ही मिलती है और उस समय यहां के लोग बडी मेहनत से दिन रात घूम घूम कर उसे ढूंढते हैं वैसे वो बहुत दुर्लभ है और सबको मिल भी नही पाती पर जिसे मिल जाती है वो तो पूरे साल बैठकर खाता है ।
और क्या इस पर कोई रोक नही है ?
है ना साब सरकारी बंदे पता रखते हैं दलालो पर नजर रखते हैं और अगर पता लग जाये तो उसे पकडकर ले जाते हैं पर फिर भी दलाल लोग यहां अपना सम्पर्क रखते हैं
मै समझ गया था कि कुदरत ने इस क्षेत्र को केवल सुंदरता ही नही बख्शी बल्कि प्राकृतिक संसाधनो से मालामाल भी किया है जिसका यहां के लोग बखूबी ध्यान रखते हैं
चलिये नीचे के चित्र देखकर आनन्द लीजिये और कल फिर मिलते हैं एक नये विषय और खोज के साथ्
वैसे यहां से चढाई शुरू होने के बावजूद भी यहां पर कोई लगजरी सुविधा नही है उसकी वजह मै अगली पोस्ट में बताउंगा पर जब मैने कुंवर सिंह से ज्यादा कुरेदकर पूछा तो उसने बताया कि यहां जो ये जंगल है ये उनके अन्नदाता हैं
वो कैसे ?
हम जंगल में से जो चाहे ले सकते हैं जैसे लकडी और घास जो जरूरी चीज हैं
वो तो हैं पर उससे नकद पैसो की समस्या तो नही हल होती ?
हां यहां पर काफी लोग जडी लाने का धंधा करते हैं
जडी ?
हां कीडा जडी बोलते हैं उसे । वैसे तो यहां पर कई तरह की जडी मिलती है जिसकी पहचान यहां का पैदाइशी निवासी होने की वजह से हम लोगो को है ही पर कीडा जडी की सबसे ज्यादा मांग है क्योंकि उसे पुरूषत्व बढाने वाली माना जाता है और चीन आदि देशो में उसकी मांग काफी ज्यादा है वो दस लाख रूपये किलो तक बिक जाती है
मेरा मुंह फटा का फटा रह गया
हां साहब उसके अलावा और भी जडिया हैं जो कीमती हैं पर कीडा जडी एक विशेष सीजन में केवल दस या पन्द्रह दिनो में ही मिलती है और उस समय यहां के लोग बडी मेहनत से दिन रात घूम घूम कर उसे ढूंढते हैं वैसे वो बहुत दुर्लभ है और सबको मिल भी नही पाती पर जिसे मिल जाती है वो तो पूरे साल बैठकर खाता है ।
और क्या इस पर कोई रोक नही है ?
है ना साब सरकारी बंदे पता रखते हैं दलालो पर नजर रखते हैं और अगर पता लग जाये तो उसे पकडकर ले जाते हैं पर फिर भी दलाल लोग यहां अपना सम्पर्क रखते हैं
मै समझ गया था कि कुदरत ने इस क्षेत्र को केवल सुंदरता ही नही बख्शी बल्कि प्राकृतिक संसाधनो से मालामाल भी किया है जिसका यहां के लोग बखूबी ध्यान रखते हैं
चलिये नीचे के चित्र देखकर आनन्द लीजिये और कल फिर मिलते हैं एक नये विषय और खोज के साथ्
आप कहाँ कहाँ जाते हो...? बहुत ही सुंदर चित्र हैं.....
ReplyDeleteवाह अजाब गज़ब प्रकृति के नज़ारे......वन्देमातरम.....
ReplyDeleteWaaaah...
ReplyDeleteफूलों सा सजा ब्लाग
ReplyDeleteसच में हैरानी हुयी कीमत जानकर.....
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा और रोचक लिखते है आप
ReplyDeletevery well written blog ...awesome.-***
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