वाण गांव के पोस्टमास्टर साहब काफी पुराने आदमी हैं इन्होने हमें चलने से पहले बेदिनी कुंड का इतिहास बताया कि यहां पर वेदो की रचना हुई थी और इन्होने हमारे पूछने पर ये भी बताया कि क्यों वाण गांव उपेक्षित पडा हुआ है । इतना ऐतिहासिक गांव इस कदर उपेक्षित है इसके कई कारण हैं
वाण गांव के पोस्टमास्टर , इन्ही के घर पर हम रूके भी और खाना भी खाया
अब समय आ गया था वाण गांव से विदा लेने का । कुंवर सिंह से विदा लेने के बाद हम लोग पहुंचे अपने कमरे पर । ये कमरा मैने आपको बताया ही था कि गांव के पोस्टमास्टर साहब का था जिन्होने हमें दो दिन कमरा भी दिया और खाना भी खिलाया । वाण गांव के पोस्टमास्टर साहब काफी पुराने आदमी हैं
Postman of village wan, we ate and stay on his home.
It was time to say Bye to wan. Kunwar Singh leave after we arrived at our room. The room I was told that this was the village postmaster 's who just gave us his room for two days and fed food also . He is very old man and know deeply history of roopkund yatra . villagers of wan village do not believe in spreading their historical and priceless traditional richness . they are feared from outsiders . this is the reason that such great place dont have any good guest house or hotel .
Then say bye to postmaster sahab me and jat devta start for back. Jat told me that his halmet is in the shop which is closed now . now what to do?
I came down two kilometer to find the shop owner. he had gone to Tharali and keys were in his pocket. After talking on the phone he gave us permission to break his shutter lock and replace it with new one . we did it and got our halmet. Is this possible in planes. We gave keys of new lock to postmaster and then leave Wan.
The way from Wan to Kulling is very beautiful. You can see in photos .
इन्होने हमें चलने से पहले बेदिनी कुंड का इतिहास बताया कि यहां पर वेदो की रचना हुई थी और इन्होने हमारे पूछने पर ये भी बताया कि क्यों वाण गांव उपेक्षित पडा हुआ है । इतना ऐतिहासिक गांव इस कदर उपेक्षित है इसके कई कारण हैं
सबसे बडा कारण है कि वाण गांव के निवासी अपनी ऐतिहासिक और अमूल्य पारंपरिक समृद्धि को कही ज्यादा फैलाने में यकीन नही करते वे बस उसे दबाकर रखना चाहते हैं । बाहर के आदमियो को वे आज भी खतरा मानते हैं तभी तो सब मिलजुलकर जमीन खरीद लेते हैं अगर कोई अपनी जमीन बेचकर जा रहा होता है पर बाहर के आदमी को नही देने देते । इसी वजह से यहां कोई शानदार गेस्ट हाउस या होटल नही बना
इंडिया हाइक नाम की एक संस्था जो कि रूपकुंड के लिये ट्रैंकिग के कार्यक्रम आयोजित करती है उसने लोहाजंग को अपना बेस बना रखा है और वाण गांव से उसका आने या जाने में कोई वास्ता नही । यानि जो उसके द्धारा रूपकुंड की यात्रा पर जाते हैं वो वाण गांव की ऐतिहासिक सम्पदा के दर्शन को चूक जाते हैं
जबकि हकीकत ये है कि रूपकुंड के लिये धार्मिक विश्वास से जाने वाले हर आदमी को वाण गांव से जरूर जाना चाहिये क्योंकि नंदा देवी राज जात यात्रा यहीं से शुरू होती है सही मायने में और इस यात्रा के रक्षक लाटू देवता का मंदिर भी यहीं पर है जो कि साल में एक बार ही एक दिन के लिये ही खुलता है
तो पोस्टमास्टर साहब को अलविदा कहकर हम चले तभी जाट देवता ने बताया कि उनका हैलमेट तो सामने की दुकान में रखा है जो कि अब बंद है । अब क्या करें ?
मै दो किलोमीटर नीचे आया उस दुकान के मालिक को ढूंढने के लिये पर वो थराली जा चुका था और चाबी उसकी जेब में थी । एक बार को तो सोचा कि हैलमेट छोडना पडेगा पर फोन पर बात हो जाने के बाद उस बंदे ने बोला कि आप मेरी दुकान का ताला तोडकर अपना हैलमेट निकाल लो और एक नया ताला लेकर लगा दो । हमने ऐसा ही किया और ये सोचते हुए चल दिये कि क्या अपने यहां कोई ऐसा कर सकता है । उसकी दुकान की चाबी हमने पोस्टमास्टर साहब को दे दी । वाण से कुलिंग तक का रास्ता काफी सुंदर है । मै उस रास्ते की बात नही कर रहा जो सडक है बाकी उसके चारो ओर का तो आप इसका नजारा लो तब तक मै आपका इंतजार कर रहा हूं आगे कल मिलते हैं
अब समय आ गया था वाण गांव से विदा लेने का । कुंवर सिंह से विदा लेने के बाद हम लोग पहुंचे अपने कमरे पर । ये कमरा मैने आपको बताया ही था कि गांव के पोस्टमास्टर साहब का था जिन्होने हमें दो दिन कमरा भी दिया और खाना भी खिलाया । वाण गांव के पोस्टमास्टर साहब काफी पुराने आदमी हैं
Postman of village wan, we ate and stay on his home.
It was time to say Bye to wan. Kunwar Singh leave after we arrived at our room. The room I was told that this was the village postmaster 's who just gave us his room for two days and fed food also . He is very old man and know deeply history of roopkund yatra . villagers of wan village do not believe in spreading their historical and priceless traditional richness . they are feared from outsiders . this is the reason that such great place dont have any good guest house or hotel .
Then say bye to postmaster sahab me and jat devta start for back. Jat told me that his halmet is in the shop which is closed now . now what to do?
I came down two kilometer to find the shop owner. he had gone to Tharali and keys were in his pocket. After talking on the phone he gave us permission to break his shutter lock and replace it with new one . we did it and got our halmet. Is this possible in planes. We gave keys of new lock to postmaster and then leave Wan.
The way from Wan to Kulling is very beautiful. You can see in photos .
इन्होने हमें चलने से पहले बेदिनी कुंड का इतिहास बताया कि यहां पर वेदो की रचना हुई थी और इन्होने हमारे पूछने पर ये भी बताया कि क्यों वाण गांव उपेक्षित पडा हुआ है । इतना ऐतिहासिक गांव इस कदर उपेक्षित है इसके कई कारण हैं
सबसे बडा कारण है कि वाण गांव के निवासी अपनी ऐतिहासिक और अमूल्य पारंपरिक समृद्धि को कही ज्यादा फैलाने में यकीन नही करते वे बस उसे दबाकर रखना चाहते हैं । बाहर के आदमियो को वे आज भी खतरा मानते हैं तभी तो सब मिलजुलकर जमीन खरीद लेते हैं अगर कोई अपनी जमीन बेचकर जा रहा होता है पर बाहर के आदमी को नही देने देते । इसी वजह से यहां कोई शानदार गेस्ट हाउस या होटल नही बना
इंडिया हाइक नाम की एक संस्था जो कि रूपकुंड के लिये ट्रैंकिग के कार्यक्रम आयोजित करती है उसने लोहाजंग को अपना बेस बना रखा है और वाण गांव से उसका आने या जाने में कोई वास्ता नही । यानि जो उसके द्धारा रूपकुंड की यात्रा पर जाते हैं वो वाण गांव की ऐतिहासिक सम्पदा के दर्शन को चूक जाते हैं
जबकि हकीकत ये है कि रूपकुंड के लिये धार्मिक विश्वास से जाने वाले हर आदमी को वाण गांव से जरूर जाना चाहिये क्योंकि नंदा देवी राज जात यात्रा यहीं से शुरू होती है सही मायने में और इस यात्रा के रक्षक लाटू देवता का मंदिर भी यहीं पर है जो कि साल में एक बार ही एक दिन के लिये ही खुलता है
तो पोस्टमास्टर साहब को अलविदा कहकर हम चले तभी जाट देवता ने बताया कि उनका हैलमेट तो सामने की दुकान में रखा है जो कि अब बंद है । अब क्या करें ?
मै दो किलोमीटर नीचे आया उस दुकान के मालिक को ढूंढने के लिये पर वो थराली जा चुका था और चाबी उसकी जेब में थी । एक बार को तो सोचा कि हैलमेट छोडना पडेगा पर फोन पर बात हो जाने के बाद उस बंदे ने बोला कि आप मेरी दुकान का ताला तोडकर अपना हैलमेट निकाल लो और एक नया ताला लेकर लगा दो । हमने ऐसा ही किया और ये सोचते हुए चल दिये कि क्या अपने यहां कोई ऐसा कर सकता है । उसकी दुकान की चाबी हमने पोस्टमास्टर साहब को दे दी । वाण से कुलिंग तक का रास्ता काफी सुंदर है । मै उस रास्ते की बात नही कर रहा जो सडक है बाकी उसके चारो ओर का तो आप इसका नजारा लो तब तक मै आपका इंतजार कर रहा हूं आगे कल मिलते हैं
Acha laga padhkar
ReplyDeletePar ek baat samajh nahi aayi !!!!
ReplyDeletekya aap pure saal ghumte rahte hai?
बहुत मनोहारी चित्रावली!
ReplyDelete