यहां रामचन्द्र जी के पूर्वजो में से एक राजा सगर का मंदिर भी है और यहीं से पैदल यात्रा का मार्ग शुरू होता है ।गांव का नाम भी सागर है गोपेश्वर से मंडलरूद्रनाथ का ट्रैक करीब 22 किलोमीटर
अच्छी तरह देख लो क्या लिखा है ? |
आज हम तय करेंगें खूबसूरत सफर गोपेश्वर से मंडल तक का । हसीन वादियों के साथ साथ सुहाना सफर । मै तो यही कहूंगा इस रास्ते के लिये
। गोपेश्वर से लगातार उतराई है मंडल के लिये । मंडल बहुत ही खूबसूरत जगह है जो कि पहाडो की गोदी में बसा है और इस रास्ते के बीच में से ही रूद्रनाथ के लिये पैदल रास्ता जाता है । रूद्रनाथ का ट्रैक करीब 22 किलोमीटर का है और हम जिस दिन वहां पहुंचे उससे करीब दस दिन पहले ही वहां के कपाट बंद हो गये थे । वैसे हमारा अगला लक्ष्य था चोपता और तुंगनाथ का पर यदि कपाट खुले होते तो हम रूद्रनाथ को महत्व ज्यादा देते और ये यात्रा हर हाल में करते
क्योंकि ये जगहे बार बार नही की जाती जबकि कुछ जगहो पर आप कभी भी आ सकते हो । इसलिये हम यहां पर रूक गये । यहां रूककर हमने काफी जानकारी इकठठी की जो कि चित्रो में आप सबके लिये भी है । यहां रामचन्द्र जी के पूर्वजो में से एक राजा सगर का मंदिर भी है और यहीं से पैदल यात्रा का मार्ग शुरू होता है ।गांव का नाम भी सागर है यहां पर दो गेस्ट हाउस बने हैं जिन पर यात्रा का नक्शा आदि बना है
रूदनाथ महाराज इस बार नही आ सके तो क्या हुआ अगली बार जरूर आयेंगें । यही सोचकर हम आगे चल पडे
मंडल के पास एक जगह और है देखने की अनूसूईया मंदिर जो कि रास्ते में ही पडता है । हम गुप्तकाशी जाने वाले रास्ते की ओर बढ रहे थे । आगे रास्ता घने जंगलो से होकर गुजरने वाला था ।
। गोपेश्वर से लगातार उतराई है मंडल के लिये । मंडल बहुत ही खूबसूरत जगह है जो कि पहाडो की गोदी में बसा है और इस रास्ते के बीच में से ही रूद्रनाथ के लिये पैदल रास्ता जाता है । रूद्रनाथ का ट्रैक करीब 22 किलोमीटर का है और हम जिस दिन वहां पहुंचे उससे करीब दस दिन पहले ही वहां के कपाट बंद हो गये थे । वैसे हमारा अगला लक्ष्य था चोपता और तुंगनाथ का पर यदि कपाट खुले होते तो हम रूद्रनाथ को महत्व ज्यादा देते और ये यात्रा हर हाल में करते
क्योंकि ये जगहे बार बार नही की जाती जबकि कुछ जगहो पर आप कभी भी आ सकते हो । इसलिये हम यहां पर रूक गये । यहां रूककर हमने काफी जानकारी इकठठी की जो कि चित्रो में आप सबके लिये भी है । यहां रामचन्द्र जी के पूर्वजो में से एक राजा सगर का मंदिर भी है और यहीं से पैदल यात्रा का मार्ग शुरू होता है ।गांव का नाम भी सागर है यहां पर दो गेस्ट हाउस बने हैं जिन पर यात्रा का नक्शा आदि बना है
रूदनाथ महाराज इस बार नही आ सके तो क्या हुआ अगली बार जरूर आयेंगें । यही सोचकर हम आगे चल पडे
मंडल के पास एक जगह और है देखने की अनूसूईया मंदिर जो कि रास्ते में ही पडता है । हम गुप्तकाशी जाने वाले रास्ते की ओर बढ रहे थे । आगे रास्ता घने जंगलो से होकर गुजरने वाला था ।
कोई देखकर भी ना माने तो ? |
सुंदर पहाडियो की गोद में बसा गांव |
यहां से शुरू होता है रूद्रनाथ का पैदल मार्ग |
मई में यहाँ पक्का जाना है। क्योंकि १० मई से कपाट भी खुल रहे है।
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
ReplyDeleteBeautiful trip.
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