वैसे तो बच्चे भगवान का रूप होते हैं चाहे वो मैदान के हों या पहाड के पर यहां पहाड पर बच्चो का अलग ही रूप देखने को मिलता है जो कि हमारे यहां करीब पन्द्रह से बीस साल पहले हुआ करता था । न्श्छिलता के अलावा गुरूओ के प्रति इतना आदर और सम्मान है कि जो भी बच्चे हमें रास्ते में मिले स्कूल जाते हुए सभी के हाथ् में कुछ ना कुछ खाने का सामान था ।
वैसे तो बच्चे भगवान का रूप होते हैं चाहे वो मैदान के हों या पहाड के पर यहां पहाड पर बच्चो का अलग ही रूप देखने को मिलता है जो कि हमारे यहां करीब पन्द्रह से बीस साल पहले हुआ करता था ।
न्श्छिलता के अलावा गुरूओ के प्रति इतना आदर और सम्मान है कि जो भी बच्चे हमें रास्ते में मिले स्कूल जाते हुए सभी के हाथ् में कुछ ना कुछ खाने का सामान था । कुछ ने मठठा लिया हुआ था तो किसी ने दूध , किसी ने तरकारी उठाई थी तो किसी ने कुछ और । जब रास्ते में कई जगह बच्चे स्कूल जाते मिले और सभी के हाथ में खाने पीने का सामान हमने देखा तो उनसे रोककर पूछा ।
सभी ने यही बताया कि अपने मास्टर जी के लिये ले जा रहे हैं क्योंकि मास्टर जी नीचे से आते हैं । नीचे से मतलब कि मैदान से नही पर उनसे तो नीचे ही हैं सब क्योंकि उनसे उपर आबादी नही है ।
एक बात और ज्यादातर बच्चो के हाथ में एक एक लकडी भी थी । मैने इसके बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि ये मास्टर जी ने कह रखा है कि एक एक लकडी सबको लानी है चूंकि स्कूल में जो मिड डे मील बनता है उसमें काम आयेगी । यानि की आप मास्टर जी का ध्यान रखो मास्टर जी आपका ध्यान रखेंगें । है ना मजेदार
खैर हमारे यहां भी सालो पहले अध्यापको का ऐसा ही सम्मान करते थे और अगर प्राईमरी स्कूल के अध्यापक किसी बच्चे को कुछ भी घर से लाने के लिये कहते थे तो ना तो बच्चा बुरा मानता था और ना ही अध्यापक मंगाने में शर्म करता था । घरवाले भी शौक से देते थे खाने पीने का सामान । पर जब से शिक्षा व्यवसाय बना है तब से ये सब बाते निर्रथक और ओल्ड फैशन हो गयी हैं अब तो ना तू मेरा चेला ना मै तेरा गुरू । बस तू मेरा कस्टमर और मै तेरा दुकानदार तो बस पैसे दो और पढो बाकी फिर ना तो बच्चो के अंदर कोई सम्मान है अध्यापक के लिये ।
पहाड में अभी तक वो सब जिंदा है ये देखकर मन खुश हो गया । चलिये कल मिलते हैं एक और नये आकर्षण के साथ
न्श्छिलता के अलावा गुरूओ के प्रति इतना आदर और सम्मान है कि जो भी बच्चे हमें रास्ते में मिले स्कूल जाते हुए सभी के हाथ् में कुछ ना कुछ खाने का सामान था । कुछ ने मठठा लिया हुआ था तो किसी ने दूध , किसी ने तरकारी उठाई थी तो किसी ने कुछ और । जब रास्ते में कई जगह बच्चे स्कूल जाते मिले और सभी के हाथ में खाने पीने का सामान हमने देखा तो उनसे रोककर पूछा ।
सभी ने यही बताया कि अपने मास्टर जी के लिये ले जा रहे हैं क्योंकि मास्टर जी नीचे से आते हैं । नीचे से मतलब कि मैदान से नही पर उनसे तो नीचे ही हैं सब क्योंकि उनसे उपर आबादी नही है ।
एक बात और ज्यादातर बच्चो के हाथ में एक एक लकडी भी थी । मैने इसके बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि ये मास्टर जी ने कह रखा है कि एक एक लकडी सबको लानी है चूंकि स्कूल में जो मिड डे मील बनता है उसमें काम आयेगी । यानि की आप मास्टर जी का ध्यान रखो मास्टर जी आपका ध्यान रखेंगें । है ना मजेदार
खैर हमारे यहां भी सालो पहले अध्यापको का ऐसा ही सम्मान करते थे और अगर प्राईमरी स्कूल के अध्यापक किसी बच्चे को कुछ भी घर से लाने के लिये कहते थे तो ना तो बच्चा बुरा मानता था और ना ही अध्यापक मंगाने में शर्म करता था । घरवाले भी शौक से देते थे खाने पीने का सामान । पर जब से शिक्षा व्यवसाय बना है तब से ये सब बाते निर्रथक और ओल्ड फैशन हो गयी हैं अब तो ना तू मेरा चेला ना मै तेरा गुरू । बस तू मेरा कस्टमर और मै तेरा दुकानदार तो बस पैसे दो और पढो बाकी फिर ना तो बच्चो के अंदर कोई सम्मान है अध्यापक के लिये ।
पहाड में अभी तक वो सब जिंदा है ये देखकर मन खुश हो गया । चलिये कल मिलते हैं एक और नये आकर्षण के साथ
हमें भी नई नई जानकारियाँ मिल जाती हैं...गुरु-शिष्य की भावना पढ़कर बहुत अच्छा लगा|
ReplyDeleteWonderful captures of the mountain kids. The schools there are located at such pretty places!
ReplyDeleteThe looks on the faces of those kids is just priceless!
Great shots of the life there.
ReplyDeleteहमारे यहां भी सालो पहले अध्यापको का ऐसा ही सम्मान करते थे और अगर प्राईमरी स्कूल के अध्यापक किसी बच्चे को कुछ भी घर से लाने के लिये कहते थे तो ना तो बच्चा बुरा मानता था और ना ही अध्यापक मंगाने में शर्म करता था । घरवाले भी शौक से देते थे खाने पीने का सामान । पर जब से शिक्षा व्यवसाय बना है तब से ये सब बाते निर्रथक और ओल्ड फैशन हो गयी हैं अब तो ना तू मेरा चेला ना मै तेरा गुरू । बस तू मेरा कस्टमर और मै तेरा दुकानदार तो बस पैसे दो और पढो....
ReplyDeleteजिन्दगी से रूबरू कराती खुबसूरत सचित्र प्रस्तुति हेतु बधाई और शुभकामनाएँ!
जिन्दगी से रूबरू कराती खुबसूरत सचित्र प्रस्तुति हेतु बधाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteकितने सुंदर बच्चे
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरणीय -
हर हर बम बम -