जब हम कुंवर सिंह के खेतो पर पहुंचे तो वहां पर गेंहू बोने की तैयारी चल रही थी । छोटी छोटी क्यारियां जिन्हे वो नाली कहते हैं उनमें पिछली बार आलू बोये गये थे जिनमें से कुछ तो अब निकल रहे थे । उनके बैल भी यहां के मुकाबले काफी छोटे छोटे थे और उन्हे घूमने में काफी परेशानी होती थी क्योंकि अगर पैर गलत पडा तो नीचे गिर पडेंगें
कुंवर सिंह के घर पर हम उनके मां , भाई आदि से नही मिल पाये थे । घर पर केवल कुंवर सिंह के पिता और उसकी भाभी थी । पिता रात को मेले में से लौटे थे तो सो रहे थे । भाभी ने हमें खाना खिलाया और उसके बाद कुंवर सिंह ने मां और भाई से मिलने के लिये कहा । हमने पूछा कि वो कहां पर हैं तो उसने बताया कि आते वक्त वो शार्टकट से ले आया था इसलिये वो नही मिल पाये थे । जाते समय रास्ते में उनके खेत पडेंगें और वहीं पर वे सब हैं
जब हम कुंवर सिंह के खेतो पर पहुंचे तो वहां पर गेंहू बोने की तैयारी चल रही थी । छोटी छोटी क्यारियां जिन्हे वो नाली कहते हैं उनमें पिछली बार आलू बोये गये थे जिनमें से कुछ तो अब निकल रहे थे । उनके बैल भी यहां के मुकाबले काफी छोटे छोटे थे और उन्हे घूमने में काफी परेशानी होती थी क्योंकि अगर पैर गलत पडा तो नीचे गिर पडेंगें
एक टोकरी में गेंहू रखे थे । कुछ बोये जा चुके थे । चौलाई की फसल भी अब कटने को आ रही थी । कुंवर सिंह की मां ने हमसे कई बार पूछा कि खाना खा लिया कि नही जैसे उन्हे लग रहा था कि कहीं हम शहर से होने की वजह से उनके यहां का खाना पसंद ना करें
कुंवर सिहं ने बताया कि वे अब गेंहू बो तो रहे हैं लेकिन जैसा कि उपर बर्फ पडनी शुरू हो चुकी है उस हिसाब से अगले कुछ दिनो में वाण गांव में भी बर्फ पडेगी । और बर्फ से ये इलाका ढक जाता है सर्दियो में
तब ये गेंहू हो पायेंगें ?
हो जाते हैं साब जो किस्मत में होते हैं हम खाली भी तो नही छोड सकते खेतो को जो होना होता है हो जाता है । कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही
बडे आशावादी लोग हैं
हम कुंवर सिंह के छोटे भाई और कुंवर सिंह की घरवाली और उनकी मां से मिले । उसका एक भतीजा भी था जो कि सबसे पहले चित्र में है और वो भी अपने परिवार के साथ फसल की तैयारी में काफी सहयोग कर रहा था
अब हमें आगे चलना था ग्रामीण जीवन की कुछ और झलकियां देखने में कल मिलते हैं आप आओगे ना ?
जब हम कुंवर सिंह के खेतो पर पहुंचे तो वहां पर गेंहू बोने की तैयारी चल रही थी । छोटी छोटी क्यारियां जिन्हे वो नाली कहते हैं उनमें पिछली बार आलू बोये गये थे जिनमें से कुछ तो अब निकल रहे थे । उनके बैल भी यहां के मुकाबले काफी छोटे छोटे थे और उन्हे घूमने में काफी परेशानी होती थी क्योंकि अगर पैर गलत पडा तो नीचे गिर पडेंगें
एक टोकरी में गेंहू रखे थे । कुछ बोये जा चुके थे । चौलाई की फसल भी अब कटने को आ रही थी । कुंवर सिंह की मां ने हमसे कई बार पूछा कि खाना खा लिया कि नही जैसे उन्हे लग रहा था कि कहीं हम शहर से होने की वजह से उनके यहां का खाना पसंद ना करें
कुंवर सिहं ने बताया कि वे अब गेंहू बो तो रहे हैं लेकिन जैसा कि उपर बर्फ पडनी शुरू हो चुकी है उस हिसाब से अगले कुछ दिनो में वाण गांव में भी बर्फ पडेगी । और बर्फ से ये इलाका ढक जाता है सर्दियो में
तब ये गेंहू हो पायेंगें ?
हो जाते हैं साब जो किस्मत में होते हैं हम खाली भी तो नही छोड सकते खेतो को जो होना होता है हो जाता है । कुछ ना कुछ तो मिलेगा ही
बडे आशावादी लोग हैं
हम कुंवर सिंह के छोटे भाई और कुंवर सिंह की घरवाली और उनकी मां से मिले । उसका एक भतीजा भी था जो कि सबसे पहले चित्र में है और वो भी अपने परिवार के साथ फसल की तैयारी में काफी सहयोग कर रहा था
अब हमें आगे चलना था ग्रामीण जीवन की कुछ और झलकियां देखने में कल मिलते हैं आप आओगे ना ?
बढ़िया है आदरणीय-
ReplyDeleteशुभकामनायें-
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ReplyDeleteपहाड़ी जीवन की झलक ..... बहुत सुंदर
ReplyDeleteपहाड़ पर रहने वाले वाकई मेहनतकश होते हैं, साथ ही साथ ताकतवर और निरोग भी... औरतें भी बराबर की मेहनत करती हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पहाड़ी झलक !
ReplyDeleteशहरों की कृत्रिमता से दूर सीधा- सादा जीवन देख पाना और अनुभव करना
ReplyDeleteआज के समय में आप का सौभाग्य है.बहुत सुंदर चित्र .
pahar jivan se parichay karane ke liye dhanyabad
ReplyDeletebahut sunder, yanha jane ki ichchha ho rahi hai
ReplyDeleteपहाड़ी जीवन की सुन्दर झांकी .....
ReplyDeletecute boys!
ReplyDelete... and hard work in the fields. Beautiful pictures!
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