कुंवर सिंह का घर दो हिस्सो में बंटा था । एक पुराना हिस्सा और एक नया हिस्सा । नया वाला अभी बनकर तैयार नही हुआ था । पुराने घर में ही सब थे...
कुंवर सिंह का घर दो हिस्सो में बंटा था । एक पुराना हिस्सा और एक नया हिस्सा । नया वाला अभी बनकर तैयार नही हुआ था । पुराने घर में ही सब थे । सब यानि कुंवर सिंह उसके दो भाई , एक भाई की पत्नी उनके बच्चे , उनके माता पिता और उनके जानवर
जी हां दो भैंस पाली हुई थी उन लोगो ने मुझे ये देखकर अचरज भी हुआ क्योंकि मैने पहाडो में ज्यादातर गाये देखी हैं । घर का सिस्टम बडा बढिया था । एक ही मकान को दो हिस्सो में बांट दिया गया था । दो हिस्से से मतलब कि करीब 6 फीट पर एक दुछत्ती बना दी गयी थी जिसके नीचे जानवर थे और उपर आदमी । मकान के नीचे का हिस्सा जानवरो का और उसके उपर सामान आदि । इसके बाद आधे मकान में नीचे का हिस्सा रसोई और उपर का सोने के लिये । छोटी सी तीन डंडो की सीढी चढने के लिये
यहां अपने घर के आसपास उन्होने सेब और अन्य फलो के पेड लगाये हुए थे । जाते ही सबसे पहले उन्होने पानी दिया और फिर रसोई में ही बुला लिया खाने के लिये । रसोइ्र में चूल्हा धरती के अंदर बना था । हमारे यहां पर अक्सर धरती से उपर इसे बनाते हैं पर यहां पर मिटटी खोदकर बनाया हुआ था । हम दोनो जूते उतारकर बैठ गये । मोटी मोटी रोटियां जिन पर दोनो ओर घी लगा था । आलू की सब्जी और साथ में दही और छाछ दोनो । सब्जी और दही छाछ का स्वाद ऐसा था कि आज तक तो मैने खाया ही नही कभी इससे पहले
उस खाने में सौंधी सौंधी खुश्बु थी मिटटी की । दही ऐसे लग रही थी जैसे रबडी हो । वो इतनी गाढी थी कि उसमें और छाछ दोनो में अंतर करना मुश्किल था । हांलाकि उत्तरांचल , हिमाचल और जम्मू में कई बार होटल पर खाना खाया हम तो उसी की तारीफ करते नही थकते थे पर ये तोबिलकुल देशी खाना था । मन तृप्त हो गया । दावत उडाने के बाद हमने कुंवर सिंह की भाभी को 100 —100 रूपये दिये उनके इस शानदार खाने के लिये । कुंवर सिंह ने कुछ कच्चे सेव तोडने की कोशिश की हमारे लिये और गुड ले आया ।
अब आप बताओ कि आपको दावत कैसी लगी फिर हम कल आपको ले चलेंगें वाण गांव के अन्य अनछुए पहलूओ पर
कुंवर सिंह का भतीजा
वाह यात्रा हो तो ऐसी, जिसको पल-पल जिया, एक-एक क्षण यादगार रहा।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteपर्वतीय अंचल के खूबसूरत नज़ारे ,सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeletehttp://yuvaam.blogspot.com/p/katha.html?m=0
भावपूर्ण प्रस्तुति.
ReplyDeleteghumakkadi me agar rahna aur khana sthaneey mil jaye to vahi asal ghumakkadi hai..badiya post..
ReplyDeleteमुंह में पानी आ गया.
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