अग्रणी और करीब सारे पर्यटन स्थलो पर बेहतरीन लाइट की सुविधा वाले उत्तराखंड राज्य के इस पर्यटन स्थल पर लाइट की सुविधा नही है । यहां पर ज्यादातर गेस्ट हाउस वालो ने जेनरेटर या फिर सोलर लाइट की व्यवस्था कर रखी है जिसमें सोलर लाइट से केवल इत
तुंगनाथ मंदिर का नजारा काफी सुंदर है । हमें पहले से पता नही था कि उपर मंदिर के पास भी रूकने और खाने की सुविधा है नही तो हम नीचे चोपता में कमरा नही लेते
वैसे यहां पर रूकना काफी दिक्कत भरा हो सकता था क्योंकि नीचे चोपता में ही इतनी ठंड थी कि रात भर बडी मुश्किल से नींद आयी । दूसरी परेशानी ये थी कि यहां पर लाइट नही है ।
जी हां बिजली उत्पादन में अग्रणी और करीब सारे पर्यटन स्थलो पर बेहतरीन लाइट की सुविधा वाले उत्तराखंड राज्य के इस पर्यटन स्थल पर लाइट की सुविधा नही है । यहां पर ज्यादातर गेस्ट हाउस वालो ने जेनरेटर या फिर सोलर लाइट की व्यवस्था कर रखी है जिसमें सोलर लाइट से केवल इतना हो सकता है कि आपको प्रकाश मिलता रहेगा और आपका फोन चार्ज हो सकता है ।
इससे ज्यादा इतनी ठंड होने के बावजूद गीजर की उम्मीद करना बेमानी है । हम तो एक दिन पहले कर्णप्रयाग में नहा चुके थे तो हमें दिक्कत नही थी पर हां कमरा चोपता में भी लिया तो कोई बात नही पर उपर मंदिर के पास भी लिया जा सकता है ।
मंदिर में दर्शन बडे आराम से हो गये । मंदिर के दर्शन करने के बाद हमने आसपास के फोटो लिये । यहां से नजारा काफी सुंदर था । जाट देवता ने पूछा कि डेढ किलोमीटर उपर और समुद्र तल से चार हजार मीटर की उंचाई पर चंद्रशिला पर चलना है क्या ?
इतने सुंदर नजारे यहां से थे तो चंद्रशिला से क्या नजारा होगा ये सोचकर मैने हां भर दी वैसे सही कहूं तो मैरे पैरो में अब दर्द होने लगा था क्योंकि रूपकुंड की चढाई अब पैरो को अकडाने लगी थी फिर भी हम लोग चल दिये
वैसे यहां पर रूकना काफी दिक्कत भरा हो सकता था क्योंकि नीचे चोपता में ही इतनी ठंड थी कि रात भर बडी मुश्किल से नींद आयी । दूसरी परेशानी ये थी कि यहां पर लाइट नही है ।
जी हां बिजली उत्पादन में अग्रणी और करीब सारे पर्यटन स्थलो पर बेहतरीन लाइट की सुविधा वाले उत्तराखंड राज्य के इस पर्यटन स्थल पर लाइट की सुविधा नही है । यहां पर ज्यादातर गेस्ट हाउस वालो ने जेनरेटर या फिर सोलर लाइट की व्यवस्था कर रखी है जिसमें सोलर लाइट से केवल इतना हो सकता है कि आपको प्रकाश मिलता रहेगा और आपका फोन चार्ज हो सकता है ।
इससे ज्यादा इतनी ठंड होने के बावजूद गीजर की उम्मीद करना बेमानी है । हम तो एक दिन पहले कर्णप्रयाग में नहा चुके थे तो हमें दिक्कत नही थी पर हां कमरा चोपता में भी लिया तो कोई बात नही पर उपर मंदिर के पास भी लिया जा सकता है ।
मंदिर में दर्शन बडे आराम से हो गये । मंदिर के दर्शन करने के बाद हमने आसपास के फोटो लिये । यहां से नजारा काफी सुंदर था । जाट देवता ने पूछा कि डेढ किलोमीटर उपर और समुद्र तल से चार हजार मीटर की उंचाई पर चंद्रशिला पर चलना है क्या ?
इतने सुंदर नजारे यहां से थे तो चंद्रशिला से क्या नजारा होगा ये सोचकर मैने हां भर दी वैसे सही कहूं तो मैरे पैरो में अब दर्द होने लगा था क्योंकि रूपकुंड की चढाई अब पैरो को अकडाने लगी थी फिर भी हम लोग चल दिये
जय तुंगनाथ केदार।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, बहुत ही अच्छा....हर हर महादेव...
ReplyDeletebeautiful captures
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