इस चढाई ने तो दम निकाल दिया था । हमारे पीछे पीछे आ रहे तीनो लोगो की हालत भी कुछ ज्यादा अच्छी नही थी । वो तीनो काफी उम्र के थे । वास्तव में वो रिटायर्ड लोग थे और वो मस्ती के लिये जहां तक जा सकते हैं जायेंगे के सिद्धांत पर चल रहे थे । मेरे पास कोई डंडा या स्टिक नही थी पर वे सब इंतजाम से थे
इस फोटो में आपको पहाड के एक तरफ बर्फ दिख रही है तो एक तरफ उल्टे हाथ की ओर एक लकीर सी है । वो लकीर है बेदिनी से पातर नौचानियां तक का रास्ता जिस पर मै कल आया था और जहां ये लकीर खत्म है वहां पातर नौचानियां है
धूप निकल तो रही है पर अभी तक हम धूप से आगे ही हैं । उस आगे रहने का नुकसान है कि ठंड से बुरा हाल है वो तो शुक्र है कि पैदल चढाई करने की वजह से शरीर गर्म है पर मुंह से शाल को भी नही हटा सकते हैं ।
धर्मपत्नी जी का शुक्रिया जिन्होने जिद करके ये एक शाल और गर्म टोपा रख दिया था नही तो रूपकुंड तो क्या पातर नौचानियां तक भी नही आ पाता ।
इस चढाई ने तो दम निकाल दिया था । हमारे पीछे पीछे आ रहे तीनो लोगो की हालत भी कुछ ज्यादा अच्छी नही थी । वो तीनो काफी उम्र के थे । वास्तव में वो रिटायर्ड लोग थे और वो मस्ती के लिये जहां तक जा सकते हैं जायेंगे के सिद्धांत पर चल रहे थे । मेरे पास कोई डंडा या स्टिक नही थी पर वे सब इंतजाम से थे
ठंड की सबसे ज्यादा मार तो इस वनस्पति पर पडी है जो पूरी रात खुले में रही है और अब ये सफेद चादर सी बन गयी है । आप सोच रहे होंगे कि इस पर बर्फ क्यों नही जमी क्योंकि ये ढाल पर है और जिस रास्ते पर हम चल रहे हैं वो समतल होने की वजह से सबसे ज्यादा बर्फ उसी पर जमी है और हमें उसके उपर से ही चलना है ।
रात को कुंवर सिंह ने बताया था कि इतनी ठंड में फोन की बैट्री और सैल जल्दी डिस्चार्ज होते हैं सो मैने एकमात्र चार्ज सैलो की जोडी को दो तीन पोलिथिन में लपेटकर रख दिया था । कई बार मै कैमरा कुंवर सिंह को पकडा देता था ताकि इतनी सुंदर जगहो के साथ कुछ फोटो मेरे भी आ जायें पर फिर भी मुझे डर लगा हुआ था कि ये सैल रूपकुंड तक चल पायेंगे कि नही । जो होगा देखा जायेगा कि तर्ज पर जो अब है उसे क्यों छोडे ये सोचकर मै आपके लिये अभी के सारे फोटो खींचकर चल रहा हूं । वैसे जाट ने कहा था कि वो सैल लेकर आयेगा पर वो तो मेरे साथ ही नही आया तो सैल कैसे मिलेंगें ?
चार दिन से चार्जिंग ना मिलना भी इसका एक कारण था नही तो पांच जोडी सैल कम नही होते ।
ये देखिये धूप छांव और बर्फ एक साथ एक ही फोटो में
यहां बर्फ पर खुद ही रास्ता बनाना है और बर्फ पडी होने की वजह से गढढे और पत्थर का भी पता नही चलता है
और ये हैं छोटा कालू विनायक । करिये दर्शन 12000 फीट से अधिक उंचाई पर स्थित देवालय के ओर गणेश भगवान आपकी हर मनोकामना पूरी करें इसी आशा के साथ अगली पोस्ट में बडे कालू विनायक जो कि आदिकाल से स्थापित हैं और जिनका महत्व बहुत ही बडा है उनके दर्शन कराते हैं आपको
धूप निकल तो रही है पर अभी तक हम धूप से आगे ही हैं । उस आगे रहने का नुकसान है कि ठंड से बुरा हाल है वो तो शुक्र है कि पैदल चढाई करने की वजह से शरीर गर्म है पर मुंह से शाल को भी नही हटा सकते हैं ।
धर्मपत्नी जी का शुक्रिया जिन्होने जिद करके ये एक शाल और गर्म टोपा रख दिया था नही तो रूपकुंड तो क्या पातर नौचानियां तक भी नही आ पाता ।
इस चढाई ने तो दम निकाल दिया था । हमारे पीछे पीछे आ रहे तीनो लोगो की हालत भी कुछ ज्यादा अच्छी नही थी । वो तीनो काफी उम्र के थे । वास्तव में वो रिटायर्ड लोग थे और वो मस्ती के लिये जहां तक जा सकते हैं जायेंगे के सिद्धांत पर चल रहे थे । मेरे पास कोई डंडा या स्टिक नही थी पर वे सब इंतजाम से थे
ठंड की सबसे ज्यादा मार तो इस वनस्पति पर पडी है जो पूरी रात खुले में रही है और अब ये सफेद चादर सी बन गयी है । आप सोच रहे होंगे कि इस पर बर्फ क्यों नही जमी क्योंकि ये ढाल पर है और जिस रास्ते पर हम चल रहे हैं वो समतल होने की वजह से सबसे ज्यादा बर्फ उसी पर जमी है और हमें उसके उपर से ही चलना है ।
रात को कुंवर सिंह ने बताया था कि इतनी ठंड में फोन की बैट्री और सैल जल्दी डिस्चार्ज होते हैं सो मैने एकमात्र चार्ज सैलो की जोडी को दो तीन पोलिथिन में लपेटकर रख दिया था । कई बार मै कैमरा कुंवर सिंह को पकडा देता था ताकि इतनी सुंदर जगहो के साथ कुछ फोटो मेरे भी आ जायें पर फिर भी मुझे डर लगा हुआ था कि ये सैल रूपकुंड तक चल पायेंगे कि नही । जो होगा देखा जायेगा कि तर्ज पर जो अब है उसे क्यों छोडे ये सोचकर मै आपके लिये अभी के सारे फोटो खींचकर चल रहा हूं । वैसे जाट ने कहा था कि वो सैल लेकर आयेगा पर वो तो मेरे साथ ही नही आया तो सैल कैसे मिलेंगें ?
चार दिन से चार्जिंग ना मिलना भी इसका एक कारण था नही तो पांच जोडी सैल कम नही होते ।
ये देखिये धूप छांव और बर्फ एक साथ एक ही फोटो में
यहां बर्फ पर खुद ही रास्ता बनाना है और बर्फ पडी होने की वजह से गढढे और पत्थर का भी पता नही चलता है
और ये हैं छोटा कालू विनायक । करिये दर्शन 12000 फीट से अधिक उंचाई पर स्थित देवालय के ओर गणेश भगवान आपकी हर मनोकामना पूरी करें इसी आशा के साथ अगली पोस्ट में बडे कालू विनायक जो कि आदिकाल से स्थापित हैं और जिनका महत्व बहुत ही बडा है उनके दर्शन कराते हैं आपको
Wow! Man. Great travelogue.
ReplyDeleteमनु भाई ये तुम्हारे कैमरे को क्या हो गया हैं, फोटो में मज़ा नहीं आरहा हैं. राम राम...
ReplyDeleteनीरज के ब्लॉग पर पढ़ा था ये लेख पर तुम्हारी कलम से दोबारा आनन्द आ गया ....
ReplyDeleteकालू विनायकिस यात्रा का जबरदस्त चढ़ाई वाला स्थल
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