पातर नौचानियां ,सात किलोमीटर दूर था और आखिर में मैने ये फैसला किया कि मुझे चलना ही है । अगर मै आज पातर नौचानियां तक पहुंच जाता हूं तो मै अपना एक दिन बचा लूंगा । ये सोचकर मैने कुंवर सिंह को कहा कि सारा सामान समेटो और चलो । उसने स्लीपिंग बैग और कपडे वगैरा बैग में रखे ।
पातर नौचानियां ,सात किलोमीटर दूर था और आखिर में मैने ये फैसला किया कि मुझे चलना ही है । अगर मै आज पातर नौचानियां तक पहुंच जाता हूं तो मै अपना एक दिन बचा लूंगा । ये सोचकर मैने कुंवर सिंह को कहा कि सारा सामान समेटो और चलो । उसने स्लीपिंग बैग और कपडे वगैरा बैग में रखे ।
कुंवर सिंह पहाडी बंदा था उसकी चलने की स्पीड भी मुझसे तेज थी इसलिये मैने उससे कहा कि वो एक काम करे थोडी उपर बनी हुई वन विभाग की हट में बैठै अफसरो से पातार नौचानियां के लिये पर्ची कटवाकर आये तब तक मै धीरे धीरे चल रहा हूं
पातर नौचानियां तक का आधा रास्ता चढाई का है जबकि आधा उतराई का । मै सोच रहा था कि दो किलोमीटर एक घंटे में भी चलूंगा तो भी मै तीन घंटे में कवर कर सकता हूं इस रास्ते को अभी अढाई बजे थे और मै अपनी अगली मंजिल की ओर चल पडा था ।
कुंवर सिंह को मैने पैसे दे दिये थे उसने दो सौ रूपये की पर्ची कटवाई और मुझे एक दो किलोमीटर बाद ही पकड लिया । रास्ते में बर्फ पडी हुई थी । एक बात और जो मुझे बढिया लगी कि बेदिनी बुग्याल में रहकर भी मै बेदिनी का एक नजर में जो पूरा लुत्फ उठा नही पाया था वो इस रास्ते से मुझे दिखा । यहां पर लगभग पूरा बेदिनी बुग्याल और बेदिनी कुंड का नजारा बडा ही शानदार दिखायी दे रहा था ।
वैसे फोन की बैट्री पूरी तरह डाउन थी और कैमरे के एक जोडी सैल बेदिनी से चलते ही डिस्चार्ज हो गये तो मैने एक और निकाले । इसके बाद मेरे पास बस एक जोडी और सैल चार्ज थे मन तो किसी भी फोटो को छोडने को नही करता पर कुछ तो कम करना ही पडेगा ।
ठंड इतनी हो चुकी थी शाम के चार बजे कि आप देख लो खुद ही पानी भी जम चुका है और मेरे पास एक जोडी कपडे पसीने में गीले हो चुके थे जो मैने बेदिनी में बदले । गीले कपडे बैग में रखे वो इतने गीले थे कि पानी निचोड लो ।
तो चलिये चलते है पातर नौचानियां
ये है बेदिनी बुग्याल का नजारा उपर से और वो सामने दिख रहा पानी का श्रोत है बेदिनी कुंड
कुदरत की खूबसूरती की कोई तुलना नही । ये अनमोल है । आप खुद देख लो और ये भी देख लो कि ठंड कितनी है ।
कुंवर सिंह पहाडी बंदा था उसकी चलने की स्पीड भी मुझसे तेज थी इसलिये मैने उससे कहा कि वो एक काम करे थोडी उपर बनी हुई वन विभाग की हट में बैठै अफसरो से पातार नौचानियां के लिये पर्ची कटवाकर आये तब तक मै धीरे धीरे चल रहा हूं
पातर नौचानियां तक का आधा रास्ता चढाई का है जबकि आधा उतराई का । मै सोच रहा था कि दो किलोमीटर एक घंटे में भी चलूंगा तो भी मै तीन घंटे में कवर कर सकता हूं इस रास्ते को अभी अढाई बजे थे और मै अपनी अगली मंजिल की ओर चल पडा था ।
कुंवर सिंह को मैने पैसे दे दिये थे उसने दो सौ रूपये की पर्ची कटवाई और मुझे एक दो किलोमीटर बाद ही पकड लिया । रास्ते में बर्फ पडी हुई थी । एक बात और जो मुझे बढिया लगी कि बेदिनी बुग्याल में रहकर भी मै बेदिनी का एक नजर में जो पूरा लुत्फ उठा नही पाया था वो इस रास्ते से मुझे दिखा । यहां पर लगभग पूरा बेदिनी बुग्याल और बेदिनी कुंड का नजारा बडा ही शानदार दिखायी दे रहा था ।
वैसे फोन की बैट्री पूरी तरह डाउन थी और कैमरे के एक जोडी सैल बेदिनी से चलते ही डिस्चार्ज हो गये तो मैने एक और निकाले । इसके बाद मेरे पास बस एक जोडी और सैल चार्ज थे मन तो किसी भी फोटो को छोडने को नही करता पर कुछ तो कम करना ही पडेगा ।
ठंड इतनी हो चुकी थी शाम के चार बजे कि आप देख लो खुद ही पानी भी जम चुका है और मेरे पास एक जोडी कपडे पसीने में गीले हो चुके थे जो मैने बेदिनी में बदले । गीले कपडे बैग में रखे वो इतने गीले थे कि पानी निचोड लो ।
तो चलिये चलते है पातर नौचानियां
ये है बेदिनी बुग्याल का नजारा उपर से और वो सामने दिख रहा पानी का श्रोत है बेदिनी कुंड
कुदरत की खूबसूरती की कोई तुलना नही । ये अनमोल है । आप खुद देख लो और ये भी देख लो कि ठंड कितनी है ।
जाडे में बर्फ़ दिखाकर डरा दिया है, रजाई से लिकड़ने का जी ना कर रिया सै।
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