सुबह सवेरे बेदिनी से चलकर हमें पकड भी लिया जबकि हम उससे सात किलोमीटर आगे थे एक बंदा कल शाम चार बजे वाण से चढाई करता है और शाम के सात बजे बेदिनी में पहुंच जाता है उसके पास ना पोर्टर है ना स्टोव है ना खाना बनाने का सामान । बदन पर विनचीटर और सिर पर मुंडासा दाद देनी पडेगी घुमक्क्डी की
पिछली पोस्ट में आपने पढा कि कैसे रूपकुंड से वापस लौटते समय जाट देवता मुझे मिला । क्या गजब का स्टेमिना है उसका । सबसे पहले तो उसे देखकर इतनी खुशी हुई कि पूछो मत । बिना फोन के दो दिन में ही ऐसा लग रहा था कि जाने क्या हो गया है ।
मै रूपकुंड के फोटो नही ले पाया था पर जब मै जाट देवता से मिला तो सबसे पहले यही पूछा कि कैमरा कहां है और जबाब सुनकर मेरा दिमाग खिसक गया । जबाब नही में था और जब मैने पूछा कि क्यों नही तो बोला कि कैमरा तुम्हारे पास तो है ।
मेरे पास तो है पर उसके सैल पांच के पांच जोडी खत्म हो चुके हैं और तुमने कहा था कि सैल मेरे पास हैं तो इस वजह से मैने और ज्यादा नही लिये थे ।
अंदाजा लगाओ कि जाट का जबाब क्या था
सैल तो मै लाया हूं
सैल लाये हो ? कहां है ? दो
वो तो बैग में है
और बैग कहां है?
कालू विनायक पर है
कालू विनायक पर क्यों ?
क्योंकि मेरे साथ कोई पोर्टर तो है नही ना टैंट ना खाने बनाने का सामान बैग में कपडे हैं जो यहां से वापिस आज ही जाना है तो कालू विनायक पर ही छोड दिया
मैने सर पीट लिया
पर जाट को कोई फर्क नही था उसे तो घूमने से घुमक्क्डी से मतलब है बोला मैने कहा था ना कि मै तुम्हे पकड लूंगा सो पकड लिया ।
वाण से कब चले थे ?
कल शाम चार बजे
और रात ?
बेदिनी में सात बजे पहुंच गया था
और सुबह सवेरे बेदिनी से चलकर हमें पकड भी लिया जबकि हम उससे सात किलोमीटर आगे थे
एक बंदा कल शाम चार बजे वाण से चढाई करता है और शाम के सात बजे बेदिनी में पहुंच जाता है उसके पास ना पोर्टर है ना स्टोव है ना खाना बनाने का सामान । बदन पर विनचीटर और सिर पर मुंडासा
दाद देनी पडेगी घुमक्क्डी की
अब कैमरा तो कालू विनायक जाकर ही चलेगा तो मै धीरे धीरे चलता हूं तब तक तुम रूपकुंड होकर आ जाओ वैसे ना जाना चाहो तो भी कोई बात नही
जाट बोला कि नही जब यहां तक आया हू तो देखकर तो आउंगा चाहे जितनी पास तक जा सकूं और तुम चलो मै तुम्हे पकड भी लूंगा ।
ऐसा ही हुआ और हम लोग 12 बजे तक भागूवासा पहुंचे और शाम के तीन बजे हम बेदिनी बुग्याल के उपर रास्ते पर थे ।
जाट देवता का बैग कालू विनायक से लिया जिसमें एक जोडी सैल वो लाया था जो रिचार्ज वाले नही थे पर उनसे सत्तर अस्सी फोटो खींचे जा सकते थे मेरे लिये ये पहली बार इस्तेमाल के थे । मै अपने बहुत फोटो खींच चुका था पर तभी मेरे याद आया कि हम दोनो का साथ में फोटो नही हुआ है तो कुंवर सिंह को कैमरा देकर पातर नौचानियां और कालु विनायक के बीच कहीं पर हमने फोटो खींचा
और ये पातर नौचानियां में हमारे साथ रात को रूके तीन लोगो में से एक । इन्होने हमारे साथ हमारी स्पीड से रूपकुंड की यात्रा की और आप यकीन नही करेंगे कि ये अंकल जो हैं इनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है ।
मेरा सलाम है ऐसे घुमक्कडो को
इनका सामान पातर नौचानियां में ही रखा था । मै ही ऐसा बंदा था जिसने खुद भी और कुंवर सिंह को भी सामान उठवाया पूरे सफर में
अब धूप इतनी खिली थी कि बर्फ पिघल चुकी थी और कीचड बन गयी थी
रूपकुंड से लगातार चलते रहने के कारण हमने खाने के बारे में सोचा ही नही । वैसे मैने सूखा सामान काफी लिया हुआ था जैसे कुरकुरे , बिस्कुट , नमकीन
। चाकलेट कल ही खत्म कर ली थी पर भूख तो खाने से ही मिटती है और तीन बजे जब हम बेदिनी बुग्याल से दो किलोमीटर उपर थे तो भूख ज्यादा सताने लगी तो यहीं पर शुरू हो गये । 12000 फीट से ज्यादा की उंचाई पर मैगी कैसे बनायी गयी आप चित्रो के माध्यम से देख सकते हो । अगर इतनी मेहनत के बाद मैगी मिले तो कैसी लगेगी ? ठंड के साथ साथ हवा काफी तेज थी तो जाट देवता ने मैट्रेस से हवा रोकी तब जाकर मैगी बनी । खा पीकर हम फिर भी नही रूके । हमने कुंवर सिंह को अपना सारा सामान समेटकर आने को कहा और हम दोनो ने दौड लगा दी आली बुग्याल की ओर क्योंकि यहां से आली बुग्याल का रास्ता समतल जैसा ही है ज्यादा चढाई या उतराई नही है
ये है बेदिनी बुग्याल और बेदिनी कुंड का शानदार नजारा
मै रूपकुंड के फोटो नही ले पाया था पर जब मै जाट देवता से मिला तो सबसे पहले यही पूछा कि कैमरा कहां है और जबाब सुनकर मेरा दिमाग खिसक गया । जबाब नही में था और जब मैने पूछा कि क्यों नही तो बोला कि कैमरा तुम्हारे पास तो है ।
मेरे पास तो है पर उसके सैल पांच के पांच जोडी खत्म हो चुके हैं और तुमने कहा था कि सैल मेरे पास हैं तो इस वजह से मैने और ज्यादा नही लिये थे ।
अंदाजा लगाओ कि जाट का जबाब क्या था
सैल तो मै लाया हूं
सैल लाये हो ? कहां है ? दो
वो तो बैग में है
और बैग कहां है?
कालू विनायक पर है
कालू विनायक पर क्यों ?
क्योंकि मेरे साथ कोई पोर्टर तो है नही ना टैंट ना खाने बनाने का सामान बैग में कपडे हैं जो यहां से वापिस आज ही जाना है तो कालू विनायक पर ही छोड दिया
मैने सर पीट लिया
पर जाट को कोई फर्क नही था उसे तो घूमने से घुमक्क्डी से मतलब है बोला मैने कहा था ना कि मै तुम्हे पकड लूंगा सो पकड लिया ।
वाण से कब चले थे ?
कल शाम चार बजे
और रात ?
बेदिनी में सात बजे पहुंच गया था
और सुबह सवेरे बेदिनी से चलकर हमें पकड भी लिया जबकि हम उससे सात किलोमीटर आगे थे
एक बंदा कल शाम चार बजे वाण से चढाई करता है और शाम के सात बजे बेदिनी में पहुंच जाता है उसके पास ना पोर्टर है ना स्टोव है ना खाना बनाने का सामान । बदन पर विनचीटर और सिर पर मुंडासा
दाद देनी पडेगी घुमक्क्डी की
अब कैमरा तो कालू विनायक जाकर ही चलेगा तो मै धीरे धीरे चलता हूं तब तक तुम रूपकुंड होकर आ जाओ वैसे ना जाना चाहो तो भी कोई बात नही
जाट बोला कि नही जब यहां तक आया हू तो देखकर तो आउंगा चाहे जितनी पास तक जा सकूं और तुम चलो मै तुम्हे पकड भी लूंगा ।
ऐसा ही हुआ और हम लोग 12 बजे तक भागूवासा पहुंचे और शाम के तीन बजे हम बेदिनी बुग्याल के उपर रास्ते पर थे ।
जाट देवता का बैग कालू विनायक से लिया जिसमें एक जोडी सैल वो लाया था जो रिचार्ज वाले नही थे पर उनसे सत्तर अस्सी फोटो खींचे जा सकते थे मेरे लिये ये पहली बार इस्तेमाल के थे । मै अपने बहुत फोटो खींच चुका था पर तभी मेरे याद आया कि हम दोनो का साथ में फोटो नही हुआ है तो कुंवर सिंह को कैमरा देकर पातर नौचानियां और कालु विनायक के बीच कहीं पर हमने फोटो खींचा
और ये पातर नौचानियां में हमारे साथ रात को रूके तीन लोगो में से एक । इन्होने हमारे साथ हमारी स्पीड से रूपकुंड की यात्रा की और आप यकीन नही करेंगे कि ये अंकल जो हैं इनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है ।
मेरा सलाम है ऐसे घुमक्कडो को
इनका सामान पातर नौचानियां में ही रखा था । मै ही ऐसा बंदा था जिसने खुद भी और कुंवर सिंह को भी सामान उठवाया पूरे सफर में
अब धूप इतनी खिली थी कि बर्फ पिघल चुकी थी और कीचड बन गयी थी
रूपकुंड से लगातार चलते रहने के कारण हमने खाने के बारे में सोचा ही नही । वैसे मैने सूखा सामान काफी लिया हुआ था जैसे कुरकुरे , बिस्कुट , नमकीन
। चाकलेट कल ही खत्म कर ली थी पर भूख तो खाने से ही मिटती है और तीन बजे जब हम बेदिनी बुग्याल से दो किलोमीटर उपर थे तो भूख ज्यादा सताने लगी तो यहीं पर शुरू हो गये । 12000 फीट से ज्यादा की उंचाई पर मैगी कैसे बनायी गयी आप चित्रो के माध्यम से देख सकते हो । अगर इतनी मेहनत के बाद मैगी मिले तो कैसी लगेगी ? ठंड के साथ साथ हवा काफी तेज थी तो जाट देवता ने मैट्रेस से हवा रोकी तब जाकर मैगी बनी । खा पीकर हम फिर भी नही रूके । हमने कुंवर सिंह को अपना सारा सामान समेटकर आने को कहा और हम दोनो ने दौड लगा दी आली बुग्याल की ओर क्योंकि यहां से आली बुग्याल का रास्ता समतल जैसा ही है ज्यादा चढाई या उतराई नही है
ये है बेदिनी बुग्याल और बेदिनी कुंड का शानदार नजारा
बड़ी मुश्किलें हैं इन एडवेंचर्स ट्रिपस में .... आप सभी को शुभकामनायें
ReplyDeleteTasty Maggy.............
ReplyDeleteउस मैगी का स्वाद गजब था।
असली घुमक्कड़ तो वे बुजुर्ग थे जिनकी उम्र 65 साल से ज्यादा होने के बावजूद भी रुपकुन्ड़ होकर आये थे।
भाई वाह, प्रकृति की गोद में बैठ कर मैगी पकाना, और फिर खाना, इसे ही कहते स्वर्गिक आनंद. आपने बिलकुल ठीक कहा, असली घुमक्कड ही हैं बड़े मियाँ. बाई पास होने के बाद भी इतना दम, नमस्कार हैं उन्हें...
ReplyDeleteबर्फ़ देखकर ही सर्दी का अहसास होने लगा। मुझे फ़ोटुओं में ही अच्छी लगती है।
ReplyDeleteवाह!!!! खुबसूरत नज़ारे.....
ReplyDeleteकहाँ-कहाँ की सैर कर लेते हैं हम भी आपके ब्लॉग के सहारे।
Men vs Wild
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteबड़े साहसी हैं आपलोग...समय मिलते ही आपके द्वारा छायांकित चित्रों पर हाइगा बनाने हैं|
ReplyDeleteअभी फिलहाल नीचे की लिंक पर आपका एक चित्र मौजूद है...देखने की कृपा करें|
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super adventure
ReplyDeletestove khanse laye 12000 feet ke unchai pe..
ReplyDeletekerala is beautiful place for visiting it is famous for nature,beaches,voting,etc that is very good place . I would like to go again again in kerala for visit if you want to know about keral click on Kerala Tour Packages
ReplyDeleteIts like you read my mind! You appear to know so much about this, like you wrote the book in it or something. I think that you could do with a few pics to drive the message home a little bit, but instead of that, this is excellent blog. An excellent read. I’ll definitely be back.
ReplyDeletetravel agency in Delhi
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