ये है वाण गांव का पहला व्यू । वैसे आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि वाण गांव काफी बडा है और यहां से 2 किलोमीटर आगे जाकर तो यहां का बस स्टैंड आता है । वैसे उस बस स्टैंड पर कोई बस नही आती बल्कि महिंद्रा पिकअप चलती हैं यहां पर वे ही बस हैं । इस जगह को बिजली घर कहते हैं क्योंकि यहां पर पानी से बिजली बनाकर पूरे गांव को सप्लाई की जाती है
पहाड के बच्चे कितनी छोटी सी उम्र में ही अपने घर के कामो में हाथ बंटाना शुरू कर देते हैं |
रास्ता तो कच्चा ही है और हां यहां से बस स्टैंड तक जाने के लिये तेल लगता है पर आने को फ्री है मतलब इधर से चढाई और उधर से ढालान
ये जो आप दुकान देख रहे हैं यहां से सडक खतम हो जाती है और रूपकुंड जाने के लिये आप सीधे इस दुकान के बराबर के कच्चे रास्ते से चढ सकते हो
उस पहले फोटो वाली दुकान के दस कदम पहले ही ये बस स्टैंड है और यहां भी कुछ नयी दुकाने बनी हैं और कुछ का निर्माण चल रहा है । मैने यहीं पर अपनी बाइक खडी कर दी है और लोकल लोगो से जानकारी ले रहा हूं कि रूपकुंड जाने का कैसे होगा ।
ये देखो वाण गांव , मजे की बात ये है कि ये गांव पहली नजर में नही दिखता है क्योंकि वो जो दुकाने आपने पहले फोटोज में देखी वे उंचाई पर हैं जबकि गांव उनके पीछे गहराई सी में बसा है । यहां जाने के लिये पहले थोडा चढकर फिर उतरना पडता है ।
मैने यहां पर एक दुकान पर गाइड के लिये पूछा तो कई लोग आ गये । बोले बेदिनी तक जाओगे । मैने कहा नही रूपकुंड तक बोले कितने लोग हैं ? मैने कहा अकेला पर मेरा एक साथी है वो कल तक आयेगा । मुझे अकेला देखकर वो सब हैरान थे । कहां से आये हो ? दिल्ली से । कब चले थे ? कल
अकेले बाइक से ? हां भाई अब बोर मत करो जल्दी से गाइड का बताओ ।
अच्छा सामान तो सब होगा ही तुम्हारे पास ?
मेरे पास कुछ नही है
रूपकुंड तो नही जा पाओगे
क्यूं
क्योंकि वहां पर तो बर्फ पड चुकी है और यहां पर तुम्हे सिर्फ स्लीपिंग बैग मिल सकता है बाकी पहनने को गर्म कपडे नही हैं
अरे मै मैनेज कर लूंगा
तभी एक लडके ने कहा मै चलूंगा
कितने लोगे ?
500 रू रोज
मै तो 400 दूंगा
चलो फिर
अब रूकने का कैसे करना है ?
आ जाओ पोस्टमास्टर साब के यहां रूकवा देते हैं
चलो फिर पर बाइक ?
खडी रहने दो यहीं यहां कोई नही ले जायेगा
ठीक है
और मै अपने गाइड के पीछे चल पडा
ये है मेरा कमरा किराया आदि अगली पोस्ट में बताउंगा पर पहले आपको बता दूं कि मेरी बगल में एक फुंसी हो गयी थी जिसे मैने यहां आकर देखा तो वो बहुत बडी हो चुकी थी और इस जगह से सारा सूज गया था तो मैने अपने पास से पटटी निकालकर और बीटाडिन लगाकर इस पर बांध ली पर इस चोट ने मुझे कैसे कैसे रूलाया ये आपको आगे बताउंगा तब तक आप भी आ जाओ जल्दी से अपने सारे काम निपटाकर
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
ReplyDeleteरुपकुन्ड की तैयारी हो ही गयी है, अरे भाई फ़ुन्सी से याद आया कि रुपकुन्ड की चढाई ने इतना नहीं रुलाया होगा जितना इस फ़ुन्सी ने।
ReplyDeleteमनु भाई , इस फुंसी का इलाज पहले करें i रूप कुंड फिर चलेंगे
ReplyDeleteसर्वेश नारायन वशिस्थ
ये फुंसी तो रूपकुंड यात्रा के बाद भी ठीक नही हुई थी
Deleteफुंसी का इलाज़ प्लास्टर ऑफ़ पेरिस है. इक चटकी प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की, आधे लीटर पानी बोतल मैं डालें ऒर खूब हिलाओ. दिन मैं ३ बार इस बोतल से पानी का सिप लो.
ReplyDeleteयार बड़े दिनों बाद मौका मिला आपके लेख पढने का, लेकिन मज़ा आ गया ... यु ही बीच में एक लेख पढ़ लिया अब हम फस गए ... अब पीछे वाले भी पढ़ते हैं और आगे की यात्रा का भी इंतज़ार है. जल्दी पोस्ट कीजिये |
ReplyDeleteवैसे आपको कैसे मिल जाते हैं ये मजेदार गाँव, अपना भी इरादा है ऐसे गावों में कुछ दिन रहने का ...