मै अंदाजा लगा रहा था कि बारह और एक के बीच मै बेदिनी बुग्याल पहुंच जाउंगा क्योंकि जिस स्पीड से हम चल रहे थे उससे ये हो जाना चाहिये था पर एक काम गलत हो रहा था । अभी तक जो धूप दिखायी दे रही थी यहां पाताल गैराली में आने के बाद उसकी जगह बादलो ने ले ली थी और हम वन क्षेत्र से बाहर निकलने को थे । इस उंचाई पर आने के बाद पेड खत्म होने लगते हैं और बुग्याल शुरू हो जाते हैं
पाताल गैराली से दिखता रनकाधार , इस चोटी के दूसरी ओर वाण् गांव है जहां से हमने चढाई शुरू की थी
पाताल गैरोली में मै पन्द्रह मिनट तक रूका । इस टाइम में मैने घर पर फोन मिलाया
। कुंवर सिंह की बात सही थी कि यहां तक नेटवर्कं था । घर पर मैने लवी को बोल दिया कि अब पता नही दो या तीन दिन हो सकता है फोन ना मिले तो परेशान ना होना । जाट देवता को फोन मिलाया तो मिला नही हो सकता है रास्ते की वजह से ना मिला हो । आज का मेरा इरादा था कि हम बेदिनी बुग्याल में रूक जायें या फिर हो सकता है आगे भी चलें ।
मै अंदाजा लगा रहा था कि बारह और एक के बीच मै बेदिनी बुग्याल पहुंच जाउंगा क्योंकि जिस स्पीड से हम चल रहे थे उससे ये हो जाना चाहिये था पर एक काम गलत हो रहा था । अभी तक जो धूप दिखायी दे रही थी यहां पाताल गैराली में आने के बाद उसकी जगह बादलो ने ले ली थी और हम वन क्षेत्र से बाहर निकलने को थे । इस उंचाई पर आने के बाद पेड खत्म होने लगते हैं और बुग्याल शुरू हो जाते हैं
यही है खतरनाक चढाई का रास्ता
आप खुद देख लो बदले मौसम का मिजाज
अब तो रनकाधार भी दिखना मुश्किल हो गया है
बेदिन बुग्याल एक संरक्षित वन क्षेत्र है और इस मंदिर से उसकी सीमा शुरू हो जाती है । मंदिर किस देवता का है पता नही पर श्रद्धा को क्या चाहिये एक बहाना
जय हो भगवान की
मेरे पीछे जो दिखायी दे रहा है वो बेदिनी बुग्याल की पहली झलक है मै इसे देखने के लिये मरा जा रहा हूं हां ये वही बेदिनी बुग्याल है जिसके बारे में मैने अनगिनत बार सुना है । रूपकुंड से कम नही है इसकी सुंदरता
तो चलो चलकर देखते हैं कि क्या है ये ?
देखिये यहां से नीचे लम्बे लम्बे पेड पर इसके बाद कुछ नही । क्योंकि इसके बाद घास के मैदान शुरू हो जाते हैं । इस एक फोटो में सब स्पष्ट है
। कुंवर सिंह की बात सही थी कि यहां तक नेटवर्कं था । घर पर मैने लवी को बोल दिया कि अब पता नही दो या तीन दिन हो सकता है फोन ना मिले तो परेशान ना होना । जाट देवता को फोन मिलाया तो मिला नही हो सकता है रास्ते की वजह से ना मिला हो । आज का मेरा इरादा था कि हम बेदिनी बुग्याल में रूक जायें या फिर हो सकता है आगे भी चलें ।
मै अंदाजा लगा रहा था कि बारह और एक के बीच मै बेदिनी बुग्याल पहुंच जाउंगा क्योंकि जिस स्पीड से हम चल रहे थे उससे ये हो जाना चाहिये था पर एक काम गलत हो रहा था । अभी तक जो धूप दिखायी दे रही थी यहां पाताल गैराली में आने के बाद उसकी जगह बादलो ने ले ली थी और हम वन क्षेत्र से बाहर निकलने को थे । इस उंचाई पर आने के बाद पेड खत्म होने लगते हैं और बुग्याल शुरू हो जाते हैं
यही है खतरनाक चढाई का रास्ता
आप खुद देख लो बदले मौसम का मिजाज
अब तो रनकाधार भी दिखना मुश्किल हो गया है
बेदिन बुग्याल एक संरक्षित वन क्षेत्र है और इस मंदिर से उसकी सीमा शुरू हो जाती है । मंदिर किस देवता का है पता नही पर श्रद्धा को क्या चाहिये एक बहाना
जय हो भगवान की
मेरे पीछे जो दिखायी दे रहा है वो बेदिनी बुग्याल की पहली झलक है मै इसे देखने के लिये मरा जा रहा हूं हां ये वही बेदिनी बुग्याल है जिसके बारे में मैने अनगिनत बार सुना है । रूपकुंड से कम नही है इसकी सुंदरता
तो चलो चलकर देखते हैं कि क्या है ये ?
देखिये यहां से नीचे लम्बे लम्बे पेड पर इसके बाद कुछ नही । क्योंकि इसके बाद घास के मैदान शुरू हो जाते हैं । इस एक फोटो में सब स्पष्ट है
सुन्दर-सुन्दर बुग्याल देखन की चाहत है।
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