आगे एक पुल आया जिस पर मैने बाइक रोक दी । बाइक को खडी करके इस वाले ताल के फोटो लिये जो कि पुल से लगा हुआ था । ये ताल भी बांये हाथ पर था और दांये हाथ पर एक पार्क बना था । इसके बादयहां से सौ मीटर के आसपास और आगे चलना होता है और फिर आता है मुख्य प्वाइंट यहां का जहां पर गाडी पार्क की सुविधा है और यहां से दो ताल के बीच में एक पुल बना रखा है । उस पुल पर आप पैदल चल सकते हैं । यहीं पर बोटिंग की सुविधा भी है
अब नम्बर था सातताल का क्योंकि मुझे केवल सवा घंटा हुआ था और मै भीमताल और नौकुचियाताल दोनो जगह देख चुका था । मै वापस भीमताल पहुचा और वहां पर एक आदमी से रास्ता पूछा सातताल का । उसने बताया कि यहां से भुवाली वाले रास्ते पर चलते रहो आगे जाकर एक तिराहा आयेगा जिससे थोडा आगे चलते ही तुम्हे बोर्ड लिखा मिल जायेगा । मैने यही किया और यहां पर आगे चलकर एक तिराहा आया और उससे थोडा लगभग दो या तीन किलोमीटर चलकर ही रास्ता कट रहा था सातताल के लिये ।
माहरा गांव है उस जगह का नाम जहां से रास्ता कटता है सात ताल के लिये । भीमताल से यहां तक तो केवल चढना होता है और माहरा से उतराई शुरू हो जाती है । यहां से 7 किमी0 के लगभग है ये झीलो का समूह । इन सभी झीलो पर पर्यटको के लिये पर्यटन विभाग की ओर से काफी सारी सुविधाये कर दी गयी हैं । किनारो पर पैदल चलने के लिये फुटपाथ , जगह जगह बैठने के लिये सुविधा हैं । यहां के प्रशासन का काफी ध्यान है इस जगह पर ।
काफी कम जगह हैं देश या विदेशो में इस तरह की जहां पर एक साथ सात झीलो का ऐसा अदभुत नजारा देखने को मिले । मै बहुत विस्तृत रूप से नही देख पाया इन झीलो को पर जितना देखा उसे एक ही पोस्ट में आपके सामने प्रस्तुत कर दिया है ।
सात ताल समूह में जो झीलें आती हैं उनके नाम हैं —नल दमयंती ताल , गरूड ताल , राम ताल , लक्ष्मण ताल, सीता ताल , पूर्ण ताल , सूखा ताल
नल दमयंती ताल — इस पहली ताल जो कि सबसे पहले पडती है उसके बारे में कहा जाता है कि इसका नाम राजा नल और उनकी पत्नी दमयंती के नाम पर पडा जो कि एक बार यहां पर आये थे । ऐसा भी कहते हैं कि इसी जगह उनकी समाधि है । इस ताल में मछलियो की संख्या और उनकी श्रेणी सबसे ज्यादा दिखायी देती है ।
गरूड ताल — दूसरी है गरूड ताल । ये आकार में कुछ छोटी है पर साफ जल से भरी है । इस ताल के पास पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान समय बिताया था ऐसा कहा जाता है ।
राम ताल , लक्ष्मण ताल और सीता ताल — ये तीनो ताल एक साथ जुडी हैं और मुख्य पडाव भी यहीं पर है । कथा वही है कि यहां पर राम सीता और लक्ष्मण अपने अज्ञात वास के दौरान रहे थे ।
सूखा ताल और पूर्ण ताल —सूखा ताल तो नाम से ही स्पष्ट है कि अब सूखी है ऐसी ही पूर्ण ताल भी है । वैसे अगर यही स्थिति रही तो शायद हमारी संतानो को ये ताल जो कि पानी से भरी हैं ये भी देखने को ना मिलें
beautiful lake.
ReplyDeleteआपकी यात्रा जारी रहे!
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
सच में बहुत नयनाभिराम दृश्य हैं, जरूर जायेंगे देखने।
ReplyDeleteअच्छे चित्र, अच्छा लेख...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदरता से किया है केमरे का इस्तेमाल ... चार चाँद लग गए हैं ...
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