इस तिराहे से एक रास्ता अल्मोडा शहर में जाता है उपर की ओर जबकि एक रास्ता नीचे की ओर जाता है इसे बाई पास कहते हैं वैसे इस रास्ते पर भी आबादी वाला रास्ता है पर अगर कौसानी जाना हो तो नीचे वाले रास्ते से जाना ठीक है । यहां पर एक चाय की दुकान थी साथ में मिठाई भी ।
इस मोड के बाद हमारा रास्ता चढाई का शुरू हो गया और नदी मुझसे दूर को हो गयी । नदी अब काफी दूरी से दिखायी दे रही थी । खैर नदी दूर हुई तो क्या हुआ इस क्षेत्र की खासियत जो है लम्बे लम्बे पेड वो भी सुंदर ढालानेा पर जैसा कि पुरानी फिल्मो में दिखाया जाता था कि इन पेडो के इर्द गिर्द हीरो और हिरोइन पर गाने फिल्माये जाते थे वो सीन याद आ गया ।
यहां पर वही लोकेशन थी । हो सकता है कई फिल्मे तो यहीं पर शूट हुई हो ।अल्मोडा से दो किलोमीटर पहले एक तिराहा आता है इस तिराहे से एक रास्ता अल्मोडा शहर में जाता है उपर की ओर जबकि एक रास्ता नीचे की ओर जाता है इसे बाई पास कहते हैं वैसे इस रास्ते पर भी आबादी वाला रास्ता है पर अगर कौसानी जाना हो तो नीचे वाले रास्ते से जाना ठीक है । यहां पर एक चाय की दुकान थी साथ में मिठाई भी । मैने यहां थोडी देर आराम करना ठीक समझा । मैने एक चाय का आर्डर दिया । आज खाना तो खाया ही नही था सेा चाय के साथ यहां बाल मिठाई ना लेने का तो सवाल ही नही था । बाल मिठाई के दो पीस मैने चाय के साथ लिये । ये बाल मिठाई अल्मोडा का तोहफा है वैसे तो अब ये आसपास के काफी शहरो में मिल जाती है जैसे कि इस यात्रा की वापसी में मैने और जाट ने घर के लिये डिब्बे लिये पर अल्मोडा इस मिठाई का मुख्य श्रोत है । चाय वाले ने बाइक की हालत धूल में सनी या शायद नम्बर देखकर मुझसें पूछा कि मै कहां से आ रहा हूं और जब मैने बताया कि मै दिल्ली से हू तो उसका सबसे पहला सवाल था कि दिल्ली में कहां से । मैने उसे पता बताकर पूछा कि तुम दिल्ली गये हेा तो वो बोला कि हम तो दिल्ली के ही रहने वाले हैं । मै अचरज में था । तो तुम दुकान करने के लिये अल्मोडा आये हो । बोले कि हां यहां मेरी और मेरे भाइयो की तीन दुकान है और हमारा घर दिल्ली में है । वाह ये बढिया था । काम हो तो इतनी दूर हो नही तो ना हो । मैने उससे पूछा कि अल्मोडा मे देखने लायक कौन सी जगह है तो वो बोला कि अल्मोडा में देखने लायक कुछ नही है सिवाय इन नजारो के जो आपको रोड पर चलते चलते देखने को मिल जायेंगे ही । तो फिर मुझे क्या करना है अल्मोडा में । कौसानी यहां से पचास किलोमीटर दूर था । सवा चार बजे थे । मै चार बजे यहां पर पहुंचा था ।
बहुत ही अच्छा लगा आपका यह यात्रा वृतांत
ReplyDeleteआभार
चाय की चुस्कियां, बाल मिठाई और ऐसे सुन्दर दृश्य! इस कॉम्बिनेशन का कोई जवाब नहीं, अति सुन्दर!
ReplyDeleteशानदार नजारे।
ReplyDeleteबालमिठाई का स्वाद ध्यान आ गया।
achha laga
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