मुन्नार केरल का एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है । यह इडुक्की जिले में पडता है । मुन्नार की समुद्र तल से उंचाई 6000 फीट के लगभग है । इसकी सुंदरता के कारण ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग जमीं पर उतर आया हो । मुन्नार मुद्रापुझा ,नलथन्नी और कुंडल नाम की तीन नदियो पर बसा है ।
मुन्नार केरल का
एक प्रमुख पर्वतीय स्थल है । यह इडुक्की जिले में पडता है । मुन्नार की समुद्र तल
से उंचाई 6000 फीट के लगभग है । इसकी सुंदरता के कारण ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग
जमीं पर उतर आया हो । मुन्नार मुद्रापुझा ,नलथन्नी और कुंडल नाम की तीन नदियो पर
बसा है । यहां पर अंग्रेजो ने अपना ग्रीष्मकालीन निवास बनाया था । यहां की एक
खासियत और भी है वो है नीलकुरंजी नाम का फूल जो कि इस क्षेत्र में पाया जाता है और
ये फूल इसलिये प्रसिद्ध है क्योंकि ये केवल बारह वर्ष में एक बार खिलता है । पर जब
ये फूल खिलता है तो ऐसा बताते हैं कि बहुत सुंदर लगता है । ऐसा मैने पढा था अपने
जाने से पहले कि अब ये फूल अगली बार 2018 में खिलेगा तो तब तक मेरा दूसरी बार जाने
का प्रोग्राम भी बन ही जायेगा । पर आप 2018 तक का इंतजार मत करना जब मौका लगे हो
आना ।
सुबह सवेरे उठकर चलना बढिया रहता है सो हम सब पांच बजे तैयार हो गये पर एक काम रोज रोज का था कि शाम को गाडी से सामान उतारना और सुबह रखना । फिर राजेश उसकेा तिरपाल से बांधता था इस काम में भी आधा घंटा या उससे ज्यादा लग जाता था ।
हम सब मुन्नार पहुंचे । शहर से कुछ पहले ही एक सुंदर झरना पडा जिसके पास फोटो खिंचाने का मोह नही छोडा जा सका । सभी लोग यहां पर रूककर फोटो खिंचा रहे थे । झरना काफी उंचाई से आ रहा था । इसके बाद आगे चले तो चाय के बागान शुरू हो गये थे । ये चाय के बागान सडक के दोनो ओर थे । हालांकि इन पर लिखा था कि ये व्यक्तिगत संपत्ति हैं पर फिर भी केवल फोटो ही तो खिंचाने थे और कोई भी ऐसा करने से अपने आपको नही रोक पा रहा था । हर मोड पर ऐसा लगता कि यहां भी रूक जाओ यहां भी रूक जाओ । वो तो बाइक नही थी गाडी को भी हर जगह कहते जोर सा पडता था
हम सब मुन्नार पहुंचे । शहर से कुछ पहले ही एक सुंदर झरना पडा जिसके पास फोटो खिंचाने का मोह नही छोडा जा सका । सभी लोग यहां पर रूककर फोटो खिंचा रहे थे । झरना काफी उंचाई से आ रहा था । इसके बाद आगे चले तो चाय के बागान शुरू हो गये थे । ये चाय के बागान सडक के दोनो ओर थे । हालांकि इन पर लिखा था कि ये व्यक्तिगत संपत्ति हैं पर फिर भी केवल फोटो ही तो खिंचाने थे और कोई भी ऐसा करने से अपने आपको नही रोक पा रहा था । हर मोड पर ऐसा लगता कि यहां भी रूक जाओ यहां भी रूक जाओ । वो तो बाइक नही थी गाडी को भी हर जगह कहते जोर सा पडता था
यहां के चाय
बागान यहां की सबसे बडी खासियत हैं जो कि करीब 12 हजार हैक्टेयर में कुछ कम उंचाई की पहाडियो और ढालानो पर
फैले हुए हैं । दक्षिण भारत में पैदा की जाने वाली चाय में से ज्यादातर यही पर
पैदा होती है और प्रसिद्ध भी है ।
यहां पर चाय की फैक्ट्रियां और संग्रहालय है जिसमें आप अपने दिन की शुरूआत करने वाली चाय को किस तरह से बनाया जाता है इसे देख सकते हैं ये अपने आप में ज्ञानवर्धक है कि किस तरह चाय की पत्तियां तोडी जाती हैं और किस तरह ताजी पत्तियो को तोडकर तुरंत फैक्ट्री में लाया जाता है और वहां पर उसकी किस तरह से प्रोसेंसिंग की जाती है । मुन्नार में हमारा कार्यक्रम टी फैक्ट्री देखने का था । हम चाय बनने की प्रकिया देखना चाहते थे और इसके लिये मुन्नार से बढिया क्या हो सकता था लेकिन जब हम मुन्नार टी फैक्ट्री पर पहुंचे तो ये उस दिन किसी अवकाश के कारण बंद थी । फैक्ट्री भी अपने आप में बहुत ही बढिया जगह थी । यहां की चारो ओर की पहाडियो पर चाय ही चाय थी और ये काफी सुंदर नजारा दे रही थी इसलिये यहां फोटो खिंचाना तो बनता था पर फैक्ट्री के बंद होने से हम काफी निराश हो गये । राजेश ने हमें कहा कि वो हमें उटी में चाय फैक्ट्री दिखा देगा । तब जाकर हमें कुछ संतोष हुआ चलो उटी में देखेंगे
यहां पर चाय की फैक्ट्रियां और संग्रहालय है जिसमें आप अपने दिन की शुरूआत करने वाली चाय को किस तरह से बनाया जाता है इसे देख सकते हैं ये अपने आप में ज्ञानवर्धक है कि किस तरह चाय की पत्तियां तोडी जाती हैं और किस तरह ताजी पत्तियो को तोडकर तुरंत फैक्ट्री में लाया जाता है और वहां पर उसकी किस तरह से प्रोसेंसिंग की जाती है । मुन्नार में हमारा कार्यक्रम टी फैक्ट्री देखने का था । हम चाय बनने की प्रकिया देखना चाहते थे और इसके लिये मुन्नार से बढिया क्या हो सकता था लेकिन जब हम मुन्नार टी फैक्ट्री पर पहुंचे तो ये उस दिन किसी अवकाश के कारण बंद थी । फैक्ट्री भी अपने आप में बहुत ही बढिया जगह थी । यहां की चारो ओर की पहाडियो पर चाय ही चाय थी और ये काफी सुंदर नजारा दे रही थी इसलिये यहां फोटो खिंचाना तो बनता था पर फैक्ट्री के बंद होने से हम काफी निराश हो गये । राजेश ने हमें कहा कि वो हमें उटी में चाय फैक्ट्री दिखा देगा । तब जाकर हमें कुछ संतोष हुआ चलो उटी में देखेंगे
वैसे तो पूरा
केरल ही सब चीजो के मामले में समृद्ध है जैसे कि पर्वत , नदी , समुद्र यहां पर सब हैं और इसी तरह से मुन्नार
का हाल है । मुन्नार में पर्वत भी हैं और नदियां भी हैं । चाय है तो काफी भी है । रबर का भी यहां पर
उत्पादन होता है तो बांस का भी भरपूर जंगल है । इलायची और गर्म मसालो के और भी कई
तत्व यहां पर पैदा होते हैं । कहा जा सकता है कि यहां पर किसी भी तरह की खेती हो
सकती है । आयुर्वैदिक दवाईयों में काम आने वाली चीजे भी यहां पर उगायी जाती हैं ।
यहां वन है तो वन्य जीवन भी प्रचुर मात्रा में है जैसे कि वन्य जीव की भी सारी और
कुछ दुर्लभ किस्म भी यहां पर पायी जाती हैं ।मुन्नार में
ब्रिटिश अधिकारी अपनी गर्मिया
बिताने आया करते थे तो स्काटिश नाम के अंग्रेज ने मुन्नार को सबसे पहले ढूंढा
था उन्होने यहां पर चाय की पौध लगायी और
चाय बागानो को विकसित किया । यहां पर अब काफी चाय के बागान हैं । यहां का मौसम साल
भर लगभग एक सा बना रहता है । सर्दियो में सदी काफी पडती है पर बर्फबारी जैसी कोई
ज्यादा स्थिति नही आती । यहां पर मानसून काफी पहले आ जाता है यानि की जून में
बारिश पडनी शुरू हो जाती है और सितम्बर तक चलती है । वैसे तो यहां बारिश का पता
नही कि कब शुरू हो जाये पर मानसून के महीने में तो बिलकुल नही इसलिये इस मौसम को
छोडकर बाकी साल भर आप कभी भी यहां पर आ सकते हेा । सर्दी में गर्म कपडे ले जाना
ठीक रहेगा । वैसे हमें तो गर्मियो में भी गर्म कपडो की जरूरत महसूस हो रही थी ।
यहां का बाजार देखने लायक है । यहां आयें तो आप काजू , इलायची , काफी और कई और मसाले खरीद सकते हैं पर आप इनका
रेट सस्ता मानते हैं या महंगा ये आपके उपर निर्भर करता है । वैसे मै तो कहीं पर भी
कोई चीज सस्ती नही देखी आज तक । हमने गोआ में काजू का रेट पूछा तो दिल्ली से भी
ज्यादा । हमने कहा भाई जब यहां पर काजू होता है तो इतना महंगा रेट क्यों है ? इस पर सारे दुकानदारो की एक ही बात थी कि वो जो आप वहां पर खाते हो वो काजू
नही है बल्कि काजू के जैसा एक बीज है जिसमें कुछ काजू मिला दिया जाता है । एक बार को तो बडा गुस्सा आया कि यार हम तो
बचपन से ही पागल है हमारे बाप दादा भी उन्ही काजूओ को खाते खाते परलोक सिधार गये
और ये हैं कि अब बता रहे हैं । कुल मिलाकर इस बात का पता एक आम इंसान नही लगा सकता
सेा खरीददारी में समझदारी नही है ये बाकी आपकी मर्जी है क्योंकि मै केवल अपना
अनुभव बता रहा हूं । मुन्नार में जाने का मतलब है सब कुछ भूल जाना । यहां पर मै
आपको ये भी बताना चाहता हूं कि मैने अपने पूरे भारत दर्शन के दौरान आज तक मुन्नार
से खूबसूरत हिल स्टेशन नही देखा बर्फ के मामले को छोडकर । वेा थोडी अलग बात है
क्योंकि जब बर्फ पडती है तो एक सफेद चादर बिछ जाती है और हरे पेडो और मकानो के उपर
पडी बर्फ का कोई मुकाबला नही पर जैसा कि मैने कहा बर्फ को छोडकर मुन्नार का
मुकाबला नही क्योंकि हिल स्टेशन तो काफी हैं पर मुन्नार की खूबसूरती इसलिये भी है
कि उन्होने कोई पहाडी जगह खाली नही छोडी जिस पर चाय बागान ना हो । ये तो सबको पता है कि पहाड सुंदर लगते हैं पर
पहाडो पर चीड और देवदार के पेड जितने सुंदर लगते हैं उनसे भी कहीं ज्यादा सुंदर
पहाडो पर चाय के बागान लगते हैं । उन चाय के बागानो में चाय के पेडो के बीच में
चाय की पत्तियां तोडने वालो के चलने के लिये बनी बारीक पगडंडी जो कि एक और डिजाइन
बना देती हैं उन बागानो में बडी अच्छी लगती हैं । इस अद्धुत प्राकृतिक छटा का आनंद
उठाने के लिये देश से ही नही दुनिया के कोने कोने से पर्यटक यहां का रूख कर रहे
हैं । नवविवाहित जोडो के लिये ये जगह विश्व की चुनिंदा डेस्टिनेशन में से है ।
यहां आकर लोग अपनी थकान को भूल जाते हैं । इसीलिये ये हिल स्टेशन इतना प्रसिद्ध हो
गया है । गर्मियों में भी यहां का तापमान 30 से ज्यादा नही रहता । यहां पर तीन
नदियां भी हैं । तीन नदियो के होने के कारण इसका नाम मुन्नू (नदी )और आर (तीन )
पडा जो बाद में मुन्नार हो गया । कभी यहां पर खतरनाक जानवरो से भरा जंगल था और आज
चाय के बागानो से सजी पहाडियों और पेडो के रूप में जगमगाता हिल स्टेशन । यहां के
रास्ते घुमावदार और सर्पीले हैं और उन पर आप पैदल चलने में भी मजा ले सकते हो ।
यहां के मनमोहक नजारे देखकर आप मंत्रमुग्ध रह जाओगे । कार , जीप ,आटो रिक्शा ,
साईकिल जैसे चाहे यात्रा
करो । अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको एक बार मुन्नार जरूर जाना चाहिये ।
मनु जी मन्नार के बारे में अच्छी जानकारी हैं, एक खास बात और मनु से बना मन्नार ......हैं ना अजब काम्बिनेशन ....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
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दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर जगह है| दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं!
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