तिरूअनंतपुरम गये और कोवलम तट नही देखा तो कुछ नही देखा । इसके बिना यहां की यात्रा अधूरी है । ये शहर से 16 किमी0 दक्षिण में स्थित है और भारत के उन गिने चुने समुद्र तटो में से है जेा विश्व पर्यटन मानचित्र में स्थान रखते हैं । यहां की सुंदरता के क्या कहने ये किसी को भी मोहित कर सकती है ।
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समुद्र में स्नान करता एक व्यक्ति |
तिरूअनंतपुरम गये
और कोवलम तट नही देखा तो कुछ नही देखा । इसके बिना यहां की यात्रा अधूरी है । ये
शहर से 16 किमी0 दक्षिण में स्थित है और भारत के उन गिने चुने
समुद्र तटो में से है जेा विश्व पर्यटन मानचित्र में स्थान रखते हैं । यहां की
सुंदरता के क्या कहने ये किसी को भी मोहित कर सकती है ।
रेत के घर का निर्माण |
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बीच की एक साइड |
घर और मौहल्ले बस गये |
सूर्यास्त होने लगा है |
यहां बीच पर कुछ
नावे भी थी जो कुछ तो सादी और कुछ मोटर बोट थी जिनमें इंजन लगा हुआ था वे समुद्र
में काफी दूर तक घुमाने के लिये ले जा रही थी । उनके रेट पता किये तो 250 रू एक आदमी
के बोला । वैसे भी अभी तक सिवाय द्धारका जी के समुद्र के अंदर का सफर नही
किया था तो अभी समुद्र की तेज उफनती लहरो और उस पर उछलती नौका को देखकर सहज में
किसी की हिम्मत नही हुई कि कुछ सौदेबाजी करके रेट कम करा ले और इस राइड का
आनंद लें । ऐसे ही ठीक हैं ये सेाच लिया
बस । समुद्र में कुछ मछुआरे मछली भी पकड रहे थे । कुछ देर के लिये बीच पर बैठ गये
और पास में मौजूद एक खोखे सी दुकान से चाय का आर्डर दे दिया । लवी और नियति दोनो
रेत से खेलने लगी । बीच की साफ और सुंदर रेत पर जो कि गीली हो उस पर घर बनाना और
बाद में समुद्र की लहरो ने आकर घर को तोड देना कितनी बार फिल्मो में देखा है पर अब
यहां पर वही खुद करने लगे थे । लवी तो इस क्रिया में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसने
चाय भी नही पी । वैसे आपको बता दूं कि चाय 12 रू की एक थी । अगर उस दुकान पर जाकर पीयो तो 10 की और मंगाओ तो 12 रू की । उन्हे अपने 2 रू का लालच था पर प्लास्टिक के कप को कितने लोग फेकेंगे
कूडादान में जिसको कि ढूंढना पडेगा इससे उन्हे या किसी को लेनादेना नही था
ये केरल के
शानदार समुद्री तटो में से एक है केरल की तट रेखा पर मालाबार नाम के गांव पर स्थित
है । उस मछुआरो के सादे से गांव को जो कि अब से 20 या 30 साल पहले एक
सुंदर और शांत खूबसूरत तट हुआ करता था अब उसकी जगह रैस्टोरेंट और होटलो ने ले ली
है । पर्यटको का भारी कोलाहल और भीड भी इसे बदसूरत करने में कसर नही छोडती । इन
चीजो केा देखकर कभी कभी तो मन करता है कि क्यों हम ऐसी जगहा पर आते हैं पर फिर से
अपना मन बनाना पडता है कि एक बार तो जरूर देखना है हर जगह को बाद मे असली जगहो की
खोज करनी है ।
ब्रिटिश मिशनरी
जार्ज अल्फ्रेड बेकर ने कोवलम के विकास में अहम भूमिका निभायी थी और उन्हे ये जगह
इतनी पसंद आयी कि वे यहीं पर जीवनपर्यंत रहे । उनके पिता हेनरी बेकर और मां
ऐमीलिया ने केरल में शिक्षा की ज्योति को जलाया और आज उसका परिणाम सामने है । केरल
देश का सबसे ज्यादा साक्षरता वाला राज्य है ।कोवलम के पास भी कई और जगहे हैं जिन्हे देखने के लिये पर्यटक आते हैं जैसे त्रावणकोर के राजा के महल और पदमनाभम स्वामी का मंदिर , कन्याकुमारी आदि । इन जगहो पर आने वाले ज्यादातर पर्यटक कोवलम में भी आते हैं । इसे साउथ का पैराडाइज भी कहा जाता है । इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है यहां पर रूकने और खाने की व्यवस्था । एक ओर देखा जाये तो बीच के आसपास की जगहो पर सीजन में रूकना खासा महंगा हो सकता है तो आप इसके लिये थोडी ही दूर त्रिवेन्द्रम में जाकर भी रूक सकते हैं आवागमन के साधन की कोई दिक्कत नही है । बेहतरीन समुद्री खाने की यहां पर भरमार है और साथ में आयुर्वेदिक मसाज और स्पा की भी ।
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ReplyDeleteमनमोहक चित्रों से सजी सुन्दर पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..कोवलम बीच सच में बहुत सुन्दर है...
ReplyDeleteI have been to kovalam beach...Visited many temples in Trivandrum too...it was memorable :)
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