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रास्ते में प्लेनस व्यू के नाम के प्वाइंट का नजारा |
कोडाईकनाल तमिलनाडू के खूबसूरत हिल स्टेशनो में से एक है । मुन्नार जहां केरल की खूबसूरती को बयां करता है वैसे ही कोडाईकनाल तमिलनाडू की । यहां देखने के लिये काफी कुछ है । प्राकृतिक सुंदरता के अलावा गुना की गुफाओ जैसी विरासत को भी ये जगह सहेजे हुए है । मुन्नार में जहां पहाडो पर बागानो की खूबसूरती झलकती है वहीं कोडाईकनाल में लम्बे लम्बे पेडो से ढके पहाड हैं । चीड के घने जंगलो में पैदल भ्रमण या फिर घुडसवारी का आनंद लिया जा सकता है ।ये शहर लगभग सात हजार फीट की उंचाई पर स्थित है । नजदीकी रेलवे स्टेशन कोडाई रोड है । जोकि यहां से 80 किलोमीटर दूर है । उत्तर भारत के लोगो को ये खूब भाता है । ये जगह पालनी रेंज की पहाडियो में बसी है । ग्रीन वैल्ली और साइलेंट वैल्ली का नजारा और पिलर राक्स भी देखने लायक यहां की मेन जगहे हैं ।
जब हम कोडाईकनाल पहुंचे तो शाम हो चुकी थी और राजेश ने एक जगह गाडी खडी करके हमें कमरा ढूंढने को कह दिया । उसकी गुस्ताखी मत मानियेगा इसे क्योंकि हम उसे मौका ही नही दे रहे थे कि वो अपनी पसंद के होटल में हमे रूकाने की कोशिश करे । जिस होटल पर वो हमें रोकता था वहीं हमें पसंद नही आता था और फिर हम सब लोग अपनी पसंद का होटल ढूंढ लेते थे । यहां जिस बात से घबराकर हम मुन्नार में सारा दिन घूमकर आये थे उसी बात ने हमें पकड लिया । सीजन का समय , विशेषकर नवविवाहित जोडे और रोमांटिक हिल स्टेशन ऐसे में रेट तो हाई होने ही हैं । दूसरी बात ये कि बारिश हो रही थी और ठंड भी काफी हो गयी थी । कमरो का रेट 1500 से उपर ही उपर था । इससे नीचे तो कोई बात करने को तैयार नही था । बहुत देर तक और दूर दूर तक देख आने के बाद भी कोई कमरा मिलने को तैयार नही था
उसके बाद हमने हाल के लिये बात करनी शुरू की । काफी होटलो में बडे बडे हाल नुमा कमरे होते हैं जिन्हे आठ या दस आदमियो के लिये डिजाइन किया गया होता है । लेकिन आज तो वे भी बहुत ज्यादा पैसे मांग रहे थे । उपर से उनमें एक समस्या ये कि एक ही बाथरूम होता है । काफी देर ढूंढने के बाद जाकर हमें एक होटल में दूसरी मंजिल पर तीन कमरे मिले । हम परिवार चार थे पर कमरे केवल तीन खाली थे । यहां पर आठ सौ रूपये में एक कमरा था और सुबह गर्म पानी भी मिल जाना था । कमरे ठीक ठाक थे और फिर मा0 जी ने और लाला जी ने दो कमरे ले लिये और हम और मनीराम अंकल का परिवार एक कमरे में आ गये । ये कमरा कुछ बडा था और होटल वाले ने दो गददे इसमें अलग से लगा दिये थे । कमरा लेने के बाद हम लोग खाने के लिये निकले । तब तक मौसम ठीक हो चुका था । खाना खाने एक रैस्टोरेंट पर पहुंचे जो कोडाई लेक पर ही था पर यहां पर रोटी नही थी तो फिर से डोसा खाकर काम चलाया । जब हम खाना खा रहे थे तो सोच रहे थे कि अभी लेक के आसपास घूम सकते हैं पर इतने में बारिश आ गयी और फिर हम काफी देर तक रैस्टोरेंट में ही फंस गये । हमारे पास केवल दो छाते थे जबकि आदमी ज्यादा थे । काफी देर तक बारिश बंद ना होने पर दो आदमी छतरी लेकर गये और राजेश को गाडी समेत लेकर आये । वो फोन नही उठा रहा था इसलिये खुद जाना पडा । सर्दी जैसे मौसम की बारिश नुकसान कर सकती है इसलिये एहतियाजन ये सब किया । अब सोने का समय था । सुबह होटल वाले ने हमें गैस गीजर से पानी गर्म करके दिया जिसमें हम नहाये धोये । हमारे होटल के सामने एक एसयूवी खडी थी जिसमें पूरा परिवार बैठे बैठे सो रहा था । रात को देर से पहुंचना और सुबह सवेरे निकलने वाले के सामने तो बडी दिक्कत है कि वो पांच या छह घंटे के पांच छह हजार रूपये दे । इससे तो बढिया है कि पांच छह घंटे गाडी में सो गये और फिर सुबह सवेरे निकल गये 19 वी सदी में ईसाई मिशनरियो को अपने बच्चो के लिये स्कूल खोलने के लिये एक बढिया से हिल स्टेशन की जरूरत थी सो उन्होने इसे खोजा । ये हिंदुस्तान का अकेला ऐसा हिल स्टेशन है जिसे अमेरिकीयो ने खोजा नही तो ज्यादातर ब्रिटिश लोगो द्धारा ही खोजे गये हैं । यहां चिडियो की 150 से ज्यादा प्रजातियां पायी जाती हैं तो बर्ड वाचिंग के शौकीनो के लिये ये आदर्श जगह है ।
सुबह सवेरे गाडी में बैठकर और सामान बांधकर हम चल दिये अपने पहले पडाव कोडाई लेक की ओर । पहाडो के बीच में स्टार फिश के आकार की ये झील यहां का मुख्य आकर्षण है । 24 हैक्टेयर में फैली इस झील में बोटिंग का अपना मजा है और उसके लिये यहां बोटिंग क्लब बना हुआ है । जब हम गये तो उस समय ना तो बोटिंग क्लब खुला था ना ही कोई बोट वहां पर थी । उस समय तो केवल झील की खुबसूरती दिखायी दे रही थी । जिसका हमने कुछ दूर पैदल चलकर भी आनंद लिया । शाम के समय तो इस रोड पर ना तो गाडी आ सकती है ना खडी रह सकती है । वैसे तो यहां पर दो किनारो पर बोटिंग के ठिकाने बने हुए हैं पर उस वक्त कोई भी खुला ना होने के कारण हम लोग थोडी देर बाद ही वहां से चल दिये । अब झील से उपर की ओर चढाई पर चढने लगे थे । एक जगह रास्ते में प्वाइंट आया जिसका नाम था अपर लेक व्यू । यहां से झील अब काफी गहराई में और अपने पूरे आकार में देखने लायक होती है । इसी जगह के सामने यूथ हास्टल बना है जिसका किराया सस्ता और कमरे बढिया होते हैं अगर हमें पहले से पता होता तो । अपर लेक व्यू से आगे हमें राजेश लेकर गया पिलर राक्स प्वाइंट पर । यहां पर दो तीन प्वांइट हैं वैसे तो जैसे कि पिलर राक और ग्रीन वैल्ली और सुसाइड प्वांइट व गुफाये जिनमें जाना तो मुमकिन नही है । पिलर राक दो चटटाने हैं जो दूर से बढिया नजारा देती हैं और ग्रीन वैल्ली
जिसमें घने जंगल में घूमने का मजा ले सकते हैं । यहां खाई में कोई सुसाइड ना करले इसलिये बडी बडी जालियां लगा रखी हैं । यहां कई हजार फुट गहरी खाई है जो देखने पर बडी ही भयानक लगती है । साथ ही एक झरना भी बह रहा है पर एक बात अफसोस की रही कि जब से हम गये और जब तक वहां पर रहे करीब एक घंटा बादल और कोहरे ने उस जगह को ऐसे घेर लिया कि बस पूछो मत । नंगी आंखो से भले ही कुछ दिख जाये पर कैमरे का तो सवाल ही नही उठता । जब काफी फोटोज में कुछ नही आया तो हमने फोटो खींचने का इरादा ही छोड दिया और घूमने लगे । यहां मक्का और कई तरह की चाट बिकती है जो ऐसे ठंडे मौसम में लोग जमकर खाते हैं ।
काफी समय यहां बिताने के बाद राजेश हमें वापस लेकर चला । हम तो सोच रहे थे कि ये कैसा दिन रहा आज का कि कई सारी चीजो में से कुछ भी देखने को नही मिला । कोहरे ने सब कुछ छुपा रखा था इस वजह से वो मजा नही आ पाया जो सोचा था । पर मजा किसी के बाप का गुलाम तो होता नही कि कहां और कब आ जाये इसका पता नही । ऐसा ही हमारे साथ हुआ जब राजेश ने हमें बताया कि शहर में ही एक जगह और है उसे और देख लीजिये । थोडी ही देर में उसने हमें कोकर वाक नाम के व्यू प्वाइंट पर ले जाकर छोड दिया
और इस शानदार जगह ने हमे मंत्रमुग्ध कर दिया । यहां एक उंची पहाडी के किनारे किनारे पर तीन फुट के करीब चौडा रास्ता बनाया हुआ है । बिलकुल ऐसे जैसे कि आपके घर की बालकनी का छज्जा वो भी इतना ही चौडा होता है और वो बालकनी अगर पचास साठ मंजिल उंची हो तो उससे कैसा व्यू आयेगा आप फोटो देखोगे तो महसूस करोगे । यहां बादल नीचे से उठ रहे थे । रास्ते में केाई पहाड या अवरोध नही था बस गहरी खाईया थी । उनसे नीचे के प्लेन के गांव दिख रहे थे बिलकुल ऐसे जैसे कि चींटीया । ये काफी लम्बा रास्ता था और कई मोडो वाला । इस रास्ते से हर मोड से अलग व्यू था । कौसानी में ऐसा नजारा देखने को मिला था या फिर यहां । पूरी गहराई में बादल ही बादल बिखरे पडे थे । वे हमसे बहुत नीचे थे । ऐसा लग रहा था कि हम हवाई जहाज में है और बादलो से उपर उड रहे हैं । बिलकुल ठीक वैसा ही नजारा था यहां पर भी ।रास्ते के दूसरी साइड में छोटे छोटे दुकानदारो ने अपनी दुकान लगा रखी थी । उन पर बच्चो के लिये काफी सामान बिक रहे थे । दो रास्ते थे यहां आने के और दोनेा पर टिकट काउंटर थे । एक रास्ते से देखते हुए दूसरे से निकल जाओ । दूसरे रास्ते पर एक दूरबीन से देखने का प्वाइंट बना रखा था । जिस पर नीचे के गांव वगैरा देख सकते थे । यहां सारी जगहो से ज्यादा मजा आया और यहां पर काफी समय बिता कर हम चल दिये अपने अगले पडाव के लिये । अगर आप यहां आये तो इस जगह को जरूर देखें
अगली पोस्ट मे पदिये खूबसूरत कून्नूर का नज़ारा
बढ़िया प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबधाई स्वीकारे भाई जी ।।
very nice & informative post alongwith beautiful pics... Thanks
ReplyDeletekodai वास्तव में सुन्दर है।
ReplyDeletebahut sundar ,,, :)
ReplyDeletephotographs achche lage...
ReplyDeletenice photos and videos , esp P.S Kokar walk
ReplyDeletewonderful pictures..
ReplyDeletenice pics :)
ReplyDeletevery beautiful photographs...aap to Madam ji k sath gaye the kodaikanal..waah waah :) my personal favrt wo teddy wali pic..aage teddy bears..peeche greenery..awesome :)
ReplyDeleteHave been to this wonderful place. Lovely pics.
ReplyDeleteVery interesting account.
ReplyDeleteVery beautifully covered!... I too have written a post on Kodaikanal... do check that :-)
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