कुन्नूर समुद्र तल से 1850 मी0 6070 फुट की उंचाई पर स्थित है और नीलगिरी पहाडियो का दूसरा बडा हिल स्टेशन है । पहला उटी है । फौज की काफी गतिविधिया हैं यहां पर और काफी एरिया में कैंट भी है । यहां का मुख्य व्यवसाय चाय का कारोबार ही है । यहां इसके लिये उपयुक्त माहौल है और संसाधन भी । कुन्नूर नीलगिरी माउंटेन रेलवे की रेल लाइन जो कि मीटर गेज है से भी जुडा है और उटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर है
कोडाईकनाल से उटी के लिये निकलने से पहले ही हम सोच रहे थे कि अबकी बार कोडाईकनाल वाला हाल नही कराना है । इस बार उटी से कुछ दूर पहले ही रूक जाना है जहां शांति हो और ठीक ठाक रूकने की जगह सस्ते में मिल जाये । चूंकि हमारा रोज का कार्यक्रम ऐसा रहता था कि हम सुबह सवेरे उठकर घूमना शुरू कर देते थे और दोपहर तक घूमते थे इसके बाद हमारा लक्ष्य होता था अपनी अगली मंजिल जो कि डेढ या दो सौ किलोमीटर दूरी पर होती थी को शाम के छह या सात बजे तक पहुंच जाना और जल्दी से जल्दी पहुंच कर कमरा ले लेना ताकि महंगाई से बचा जा सके और खाना वगैरा खाकर नौ बजे तक सो जाना ।
दक्षिण भारत का धार्मिक एवं सुहाना सफर
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kodaikanal ,कोडाईकनाल
coonnoor,south india, कुन्नूर, दक्षिण भारत
कभी कभी दस भी हो जाते थे और उसके बाद वही दिनचर्या यानि सुबह सवेरे चार या पांच बजे उठकर छह बजे तक घूमने के लिये चल देना । आज भी और इससे अलग की दो यात्राओ एक पूर्वोत्तर की जो इसी साल की है और एक लम्बी घुमक्कडी दोनो में इसी तरह का रूटीन रहता था जब हम उटी के पास पहुंचे तो उससे थोडा पहले एक काफी बसा हुआ कस्बा मिला इसका नाम कुन्नूर था । हालांकि ये हमारे प्रोग्राम मे नही था पर यहां पर काफी गेस्ट हाउस और होटलो के बोर्ड देखकर हमने सोचा कि यहीं पर ट्राई कर ली जाये । मेन रोड से थोडा अंदर को जाकर कस्बा है । कई होटलो पर हमने ट्राई की पर सब फुल थे । कमाल की बात थी । शाम का समय था और ठंड काफी थी । जब यहां पर ये हाल है तो उटी में क्या हाल होगा कमरो का । ये सोचकर हमने अपनी तलाश जारी रखी । अंदर सारे में घूमकर आने के बाद हम लोग रोड के किनारे बने होटलो में चल दिये । यहां एक होटल में काफी बढिया कमरे 500 रू प्रति कमरे के हिसाब से मिल रहे थे हालांकि वे तीसरी मंजिल पर थे । पर चौथी मंजिल पर पार्किंग थी गाडी की और वहीं से दूसरा रास्ता जा रहा था । कमरे काफी साफ सुथरे बढिया बडे और सारी सुविधाओ वाले थे । हमने फौरन ले लिये । कमरे में सामान रखने के लिये उतारकर हमने डाइवर को गाडी पिछले रास्ते से ले जाकर उपर होटल की छत पर ले जाने के लिये बोल दिया । कमरो में सामान रखकर हम लोगा खाना ढूंढने के लिये चल दिये । यहां कई सारे अच्छे रैस्टोरेंट थे जिनमें खाना बढिया था और रोटी भी उपलब्ध थी । हालांकि रोटी 10 रू की एक थी पर कोई बात नही रोज रोज चावल खाने से तो बढिया है । खाना खा पीकर हमने आइसक्रीम खायी । अजीब बात है आजकल ठंड में ज्यादा आइसक्रीम खायी जाती है ।
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coonnoor,south india, कुन्नूर, दक्षिण भारत
कभी कभी दस भी हो जाते थे और उसके बाद वही दिनचर्या यानि सुबह सवेरे चार या पांच बजे उठकर छह बजे तक घूमने के लिये चल देना । आज भी और इससे अलग की दो यात्राओ एक पूर्वोत्तर की जो इसी साल की है और एक लम्बी घुमक्कडी दोनो में इसी तरह का रूटीन रहता था जब हम उटी के पास पहुंचे तो उससे थोडा पहले एक काफी बसा हुआ कस्बा मिला इसका नाम कुन्नूर था । हालांकि ये हमारे प्रोग्राम मे नही था पर यहां पर काफी गेस्ट हाउस और होटलो के बोर्ड देखकर हमने सोचा कि यहीं पर ट्राई कर ली जाये । मेन रोड से थोडा अंदर को जाकर कस्बा है । कई होटलो पर हमने ट्राई की पर सब फुल थे । कमाल की बात थी । शाम का समय था और ठंड काफी थी । जब यहां पर ये हाल है तो उटी में क्या हाल होगा कमरो का । ये सोचकर हमने अपनी तलाश जारी रखी । अंदर सारे में घूमकर आने के बाद हम लोग रोड के किनारे बने होटलो में चल दिये । यहां एक होटल में काफी बढिया कमरे 500 रू प्रति कमरे के हिसाब से मिल रहे थे हालांकि वे तीसरी मंजिल पर थे । पर चौथी मंजिल पर पार्किंग थी गाडी की और वहीं से दूसरा रास्ता जा रहा था । कमरे काफी साफ सुथरे बढिया बडे और सारी सुविधाओ वाले थे । हमने फौरन ले लिये । कमरे में सामान रखने के लिये उतारकर हमने डाइवर को गाडी पिछले रास्ते से ले जाकर उपर होटल की छत पर ले जाने के लिये बोल दिया । कमरो में सामान रखकर हम लोगा खाना ढूंढने के लिये चल दिये । यहां कई सारे अच्छे रैस्टोरेंट थे जिनमें खाना बढिया था और रोटी भी उपलब्ध थी । हालांकि रोटी 10 रू की एक थी पर कोई बात नही रोज रोज चावल खाने से तो बढिया है । खाना खा पीकर हमने आइसक्रीम खायी । अजीब बात है आजकल ठंड में ज्यादा आइसक्रीम खायी जाती है ।
सुबह सवेरे उठकर तैयार हुए । सामान हमसे केवल एक सीढी दूर ही जाना था । हालांकि गाडी पार्किंग में से निकालने में दिक्कत हुई क्योंकि और कई गाडियां आगे खडी
हो गयी थी । पर शुक्र था सब गाडी वाले अपनी गाडी में ही सोते थे । गाडी को लेकर राजेश
सबसे पहले इसी शहर के मुख्य प्वाइंट पर ले चला जिसका नाम डाल्फिन नोज है । यहां तक
जाने के लिये एक सिंगल रोड है जिस पर एक दो गांव भी पडते हैं फिर चाय की दुकाने आनी
शुरू हो जाती हैं जो कि बागानो के रास्ते पर हैं । यहां आपको फ्री मे चाय पिला कर दिखायेंगे
। फिर अलग अलग किस्मो की चाय और उनके रेट बतायेंगें । हमने भी चाय की चुस्कियां ली
और चल दिये आगे अपने गंतव्य की ओर
डाल्फिन नोज एक बहुत ही सुंदर जगह है यहां पर आने के लिये जिस रास्ते से गुजरना होता है वो भी काफी सुंदर है ये जगह कुन्नूर से दस किलोमीटर की दूरी पर है हम काफी सुबह सुबह यहां पर पहुंचे थे तो हमारे सिवा तो यहां पर कोई पर्यटक नही था । उसके बाद ही लोग आने शुरू हुए । एक पहाड की चोटी जो कि डाल्फिन की नाक की तरह है के नाम पर इसका नाम रखा गया है । यहां से दोनो तरफ का नजारा दिखता है । जिस रास्ते से हम आये थे उस पर चाय बागान थे । उसके उल्टे हाथ की साइड में देखने के लिये जगह बनी थी और वहां से एक सुंदर झरना दिखायी दे रहा था । इस झरने का नाम कैथरीन फाल है ये काफी सुंदर दृश्य था । झरना काफी बडा होगा पर काफी दूर से होने के कारण छोटा सा दिख रहा था । सीधे हाथ वाली साइड में पहाड और नीचे का प्लेन का नजारा दिख रहा था । यहां एक दो घोडे वाले भी आ गये तब तक जो आपको चाय बागानो के साथ साथ घोडे पर घुमाकर ला सकते हैं । हमने यहां फोटो खिंचाये और चल दिये अपने अगले गंतव्य उटी की ओर
उटी जाने के रास्ते में सिम पार्क पडता है जो कि एक बोटनिकल गार्डन है । इस पार्क को बनाने में काफी मेहनत की गयी है और तरह तरह के औषधीय पौधे और फूलो के पौधे यहां पर लगाये गये हैं । 12 हैक्टेयर में फैला ये पार्क काफी सुंदर है और उंची नीची जगहो का पूर्ण सदुपयोग करके बनाया गया है । यहां पर जाने के लिये टिकट लगता है और कैमरे के लिये भी । हमें उटी के बाटनिकल गार्डन भी जाना था जोकि इससे काफी बडा है इसलिये हमने यहां पर कैमरे का यूज नही किया
कुन्नूर समुद्र तल से 1850 मी0 6070
फुट की उंचाई पर स्थित है और नीलगिरी पहाडियो का दूसरा बडा हिल स्टेशन है । पहला उटी है । फौज की काफी गतिविधिया हैं यहां पर और काफी एरिया में कैंट भी है । यहां का मुख्य व्यवसाय चाय का कारोबार ही है । यहां इसके लिये उपयुक्त माहौल है और संसाधन भी । कुन्नूर नीलगिरी माउंटेन रेलवे की रेल लाइन जो कि मीटर गेज है से भी जुडा है और उटी से 17 किलोमीटर की दूरी पर है
सुन्दर जगह है अभी देखी नहीं है।
ReplyDeleteकूनूर (यही उच्चारण है) की यात्रा बड़ी लुभावनी रही।
ReplyDelete,हमने चाय पी,,,बिस्कुट खाए......सवेरे उठकर घूमते थे....कोडाईकनाल वाला हाल नहीं कराना है....आदि आदि व्यक्तिगत बातों में आलेख का मूल कहीं होता ही नहीं है.... मूल तथ्य कहीं नज़र ही नहीं आता इन सब व्यर्थ की बातों में....
ReplyDeleteSundar !
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर वर्णन,मेरे विचार में ऊटी से ज्यादा दर्शनीय कुन्नूर है, डॉल्फिन नोज एक ऐसी जगह है जो हम नहीं पाये थे,पढ़कर बहुत आन्नद आया,ये मेरी पोस्ट है ऊटी कुन्नूर के बारे में-http://wwwsanvibhatt.blogspot.in/2013/04/blog-post_30.html
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