रानीबाग है उस जगह का नाम जहां से भीमताल के लिये रास्ता कटता है । 17 किमी0 का सफर लगभग दिन के साढे 12 बजे खत्म हुआ । यानि की लगभग साढे छह घंटे में गाजियाबाद से चलकर मै भीमताल पहुंच गया था । समय तो ऐसा था कि आज ही मै भीमताल और नौकुचियाताल देखकर या शायद सातताल देखकर और शाम तक घर वापिस जा सकता था ।
शायद रानीबाग है उस जगह का नाम जहां से भीमताल के लिये रास्ता कटता है । 17 किमी0 का सफर लगभग दिन के साढे 12 बजे खत्म हुआ । यानि की लगभग साढे छह घंटे में गाजियाबाद से चलकर मै भीमताल पहुंच गया था । समय तो ऐसा था कि आज ही मै भीमताल और नौकुचियाताल देखकर या शायद सातताल देखकर और शाम तक घर वापिस जा सकता था । देखते हैं कि क्या होता है कि तर्ज पर मैने पहाडो के बीच में बसी इस नयनाभिराम झील के दृश्यो को अपने कैमरे में कैद करना शुरू किया ।
एक बात ये भी थी कि मैने भीमताल के रास्ते में पहाडी रास्ते में पहली बार कैमरा निकाला और अपना कैमरे वाला बैग अब गले मे अलग से टांग लिया था । अब मेरा सामान एक बैग में बाइक के बैग के अंदर था बाकी सामान मेरे कंधे पर टंगे बैग में और साथ में कैमरे का पर्स भी टंगा था । वैसे तो मैने काफी ताल तलैया देखें है । नैनीताल की नैनी झील भीमताल से ज्यादा सुंदर है पर भीमताल की ये झील अपने आप में कम सुंदर नही है । काफी बडे एरिया में फैली है और खास बात ये कि इसका सौन्दर्यकरण काफी सलीके से किया गया है और इसके चारो ओर सडक बना दी गयी है । आधी झील से तो मेन रास्ता ही गुजरता है और यहीं पर एक प्वाइंट बना है । यहां से घोडे भी मिलते हैं जिन पर बैठकर आप पूरी झील का चक्कर लगा सकते हो । मेरे पास अपना घोडा था पर अकेला होने के कारण मुझे इसे फोटो लेने के लिये बार बार बंद करना पडता था । पर हां इस पूरी झील को नापने में और कैमरे में कैद करने में मुझे मुश्किल से पन्द्रह मिनट लगे । कई जगह तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है । झील में कई जगह नाव की सुविधा है और बोटिंग प्वाइंट बने है । झील के बीचोबीच एक टापू बना है जिसके बारे में बताया जाता है कि इसी पर भीमताल का नाम पडा ।
भीमताल झील कुमाउ की सबसे बडी झील है इसकी लम्बाई 1674 मीटर , चौडाई 427 मीटर और गहराई 30 मीटर के करीब है अब आप अंदाजा लगा सकते हो कि ये कितनी गहरी है । देखा जाये तो ये ताल नैनीताल के ताल से भी बडा है और पहले नैनीताल से ज्यादा प्रसिद्ध भी यही रहा है यहां भी नैनीताल की तरह मल्लीताल और तल्लीताल नामक जगहे हैं इसके बीच में जो टापू है वो मनोरंजन के लिये इस्तेमाल हो जाता है । टापू तक पहुंचने के लिये नावे हैं । मैने बताया ही है कि यही कहा जाता है कि इस ताल को भीम ने बनाया था इसकी पुष्टि के लिये यहां पर भीमेश्वर मंदिर भी है । भीम के नाम पर कम ही मंदिर देखने को मिलते हैं । वैसे इस ताल के और भी उपयोग हैं ये सिंचाई के भी काम में आता है ।
चलते रहो मुसाफ़िर, चलते रहो, मैं भी चल दूंगा।
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteशुभकामनायें-
जी हाँ रानी बाद से ही भीमताल का रास्ता कटता है!
ReplyDeleteवैसे आप नैनीताल जाकर भी भीमताल जा सकते थे!
पहाड़ों की इतनी खूबसूरत तस्वीरें बहुत देर से देखने के कारण ही शायद मुझे सर्दी लगने लगी है:)
ReplyDeleteवाह , १० साल पुरानी यादे ताजा हो गयी :)
ReplyDeleteसुंदर यात्रा ..खुबसूरत जगहों की बात ही निराली है ...
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