वर्मा पार्क में लगी सुंदर मूर्ति धर्मशाला के पीछे उस रेस्टोरेंट जिसका नाम दुर्भाग्यवश मुझे अब याद नही है क्या गजब का खाना था । ब...
![]() |
वर्मा पार्क में लगी सुंदर मूर्ति |
भीलवाडा के खाने में एक थाली में सात से आठ तक छोटी छोटी कटोरियां रख दी जाती थी जिसमें अलग अलग सब्जी या चटनी और पता नही क्या क्या होता था और जगह उन कटोरियो में इतनी होती थी कि बस ज्यादा से ज्यादा दो चार चम्मच सब्जी आ सके । दूसरी खास बात कि वहां आप जैसा आर्डर करो वैसी रोटी हाजिर जैसे कि अगर आप गेंहू की रोटी खाना चाहते हो तो गेंहू की और बाजरे की खाना चाहो तो बाजरे की और मक्का की खाना चाहो तो मक्का की और तंदूर की खाना चाहो तो वो भी और अगर आप इसमें संतुष्ट ना हो और सारी ही खाना चाहो तो एक एक करके सारी तरह की रोटी आ जायेंगी या फिर जो आप चाहो उस तरह की एक दो या तीन रोटिया मंगा सकते हो आपको बस बता देना है । उदयपुर के उस भोजनालय में भी कुछ अलग चीजे थी जैसे आम की कैरी की चटनी टाइप कुछ । जबकि वो मौसम आम का नही था पर वहां मिल रही थी और वो इतनी पसंद आई कि पूछो मत । यूपी में भी कई जगह मारवाडी भोज या राजस्थानी भोजनालय पर मैने उसी ललक में खाना खाया कि दोबारा वही स्वाद मिलेगा पर ऐसा नही हुआ । खाने के बाद बर्फी , रसगुल्ला ,खीर या मीठे जवे जरूर मिलेंगे जो मेरी कमजोरी है और हम तो घर पर अगर इनमें से कोई चीज ना हो तो गुड की डली से भी काम चला लेते हैं ।
![]() |
और ये वर्मा जी की मूर्ति |
![]() |
पार्क से दिखती पिछोला लेक और दूध तलाई |
![]() |
एक और नजारा |
![]() |
एक सुंदर वनस्पति |
![]() |
गुलाब बाग का शुरूआती रास्ता |
![]() |
सुंदर झरने |
![]() |
गुलाब बाग , सज्जन निवास |
![]() |
पेडो की श्रंखलाबद्ध कतारे |
![]() |
दूर दूर तक बस बाग का ही क्षेत्र है और पहाडियां |
![]() |
ये है टाय ट्रेन |
![]() |
इसमें लिखा था कि यह यात्रा पर्यटक के जोखिम पर है |
![]() |
भारतीय लोक कला म्यूजियम |
![]() |
कठपुतलियो का संसार |
![]() |
ऐसे होते हैं ग्रामीण देवी देवता |
![]() |
संग्रहालय में लगा एक चित्र |
![]() |
मुखौटे |
![]() |
पुतले और पोशाकें |
![]() |
राजस्थानी परिवेश में औरते |
![]() |
हम सब एक साथ ...गाइड का ये तो फायदा है |