होटल में खाना खाने से पहले मुझे अपने कैमरे का लैंस साफ करने के लिये लैंस क्लीनर की जरूरत थी जो कि यहां पर मिलना नामुमकिन था ये मुझे पत...
खाने पीने की सबसे ज्यादा दुकाने हैं । एक बडी दुकान पर कोलीन मिला पर सबसे बडी बोतल जो कि मुझे लेनी पडी जबकि मुझे केवल 4 बूंंद चाहिये था । इन दुकानो पर रोजमर्रा की जरूरतो का सभी सामान तो उपलब्ध था पर इससे ज्यादा की आस बेमानी थी यहां तक की किसी अच्छे से चाकलेट ब्रांड की भी । दुकान से निकलकर मै होटल की ओर जा रहा था तो यहां का लेाकल मंदिर खुला था और काफी पूजा पाठ चल रही थी पर शायद तमिल या तेलगू भाषा में । चेन्न्ई से हमेशा से यहां पर आने का सर्वसुलभ रास्ता रहा है तो वहां से भी काफी लोग आते हैं और यहां पर बसे लोगो में भी बहुतायत है । यहां पर कई लोगो से बात की तो उन्होने चेन्नई जरूर देखा है ।
सुबह सवेरे पौ फटने से कुछ पहले ही मै सबसे पहले उसी मंदिर में पहुंचा । मंदिर तो अभी बंद था पर यहां पर आकर बहुत बढिया लगा । इतनी ही देर में हमारा वैन वाला आ पहुंचा और वो हमें सूर्योदय दिखाने के लिये बीच पर ले गया । सूर्योदय हो रहा था पर वही समस्या थी जो अंडमान में आने के समय से हमारे साथ थी । बादलो ने सूरज को बडी बुरी तरह दबा रखा था और निकलने ही नही दे रहे थे ।
सूर्योदय देखने के बाद हम वापस चल पडे और वैन वाले को पैसे देकर होटल से रवाना कर दिया । इसके बाद हम नाश्ता करने के लिये बाजार की ओर चले । यहां पर हमने एक दुकान में चाय बनवाने के लिये कहा । यहां नील में सबसे प्रसिद्ध चीज है यहां के रसगुल्ले जो कि बंगाली रसगुल्ले जैसे ही होते हैं पर एक तो सफेद नही होता बल्कि कुछ कुछ नारंगी रंग से होते हैं और दूसरी बात ये इतने स्वादिष्ट होते हैं कि पोर्ट ब्लेयर में भी मिठाई की दुकानो में आपको नील वाले रसगुल्ले नाम से मिल जायेंगें वो भी यहीं से गये हुए ।
जब नील द्धीप पर लोग जेटटी पर उतरते हैं तो सबसे पहले उनका सामना साईकिल पर अपनी दुकान जमाये रसगुल्ले वालो से ही होता है जो कि बडे बडे डिब्बो में चाशनी में लिपटे रसगुल्ले लिये वहीं पर खडे रहते हैं । फेरी से आने वाले लोग भी यात्रियो के उतरने और चढने के समय में इनकी खरीददारी कर लेते हैं यहां तक कि मै जहाज के कैप्टन के लोभ को भी देख पाया । लोग नील की तरफ जाने वालो को प्री आर्डर कर देते हैं कि मेरे लिये लेते आना ।
हम तीनो को भी ये बहुत पसंद आये और हमने जी भरकर खाये । इसके बाद हम आसपास घूमने लगे तो यहां पर एक बहुत ही बढिया नजारा दिखा । यहीं पर एक मैदान में जो कि मंदिर के पास था वहां कबूतर बडे मजे में घूम रहे थे और बिल्ली भी वहीं पर थी । कुत्ते भी वहीं पर टहल रहे थे और ये सब एक दूसरे को कुछ नही कह रहे थे । इसका मतलब ये था कि या तो इन्हे बाहर वालो की लत नही लगी है इसलिये यहां तो दोस्ती है इनकी ।
इसके बाद हमने होटल से अपना सामान लिया और जेटटी की ओर चल पडे । यहां पर भरतपुर बीच भी है जो कि लक्ष्मणपुर जितना बडा तो नही पर हां सुंदर उतना ही है । इसी जगह हम बैठ गये समय बिताने के लिये जो कि अभी फेरी के आने में था । बैठै बैठे हमें नम्बर लिखे दिखायी दिया और हमने फोेन कर दिया । थोडी ही देर में बोट वाला आया और उसने प्रति व्यक्ति 300 रूपये में हमें कांच के तले वाली नाव में समुद्र के नीचे के शैवाल दिखाना तय कर लिया पांच प्वाइंट पर । सुबह सुबह का समय था तो कम पैसो में तय हो गया था दूसरी बात कि उसे उम्मीद थी कि हम इतना नजारा देखने के बाद आगे को बढेंगें
खैर हम लाइफ जैकेट पहनकर नाव में बैठ गये । नाव में जो कांच लगा था वो मैग्नीफाइंग ग्लास था यानि बडा करके दिखाने वाला । पानी तो यहां का क्रिस्टल क्लियर है ही साथ ही कांच के तले में समुद्र में नीचे स्थित बडी बडी चटटाने साफ दिख रही थी हालांकि कैमरे में वो इतनी साफ नही आ पायी उपर से धूप पडने की वजह से । चटटानो के अलावा कोरल रीफ भी सुंदर लग रहे थे पर जब नाव वाले ने नीचे चलने को बोला तो हम साफ मुकर गये और वो उदास मन से हमें वापस ले आया ।
ANDAMAN-
our hotel |
temple at neil island |
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sunrise at neil island andaman |
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बिल्ली , कबूतर और कुत्ता एक साथ देखा है आपने ? |
ये सफेदपोश ऐसा है जैसे धरने वाला मुख्यमंत्री LOl |
गुर्राहट कुछ बता रही है |
नील द्धीप का रसगुल्ला |
Glass Boat |