ममलेश्वर मंदिर से करीब दस किलोमीटर दूर करसोग घाटी के अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए मै चलता गया और काओ नाम के गांव में पहुंचा जहां पर मुख्य सडक पर ही कामाक्षा देवी का मंदिर है । कहा जाता है कि इस मंदिर को परशुराम जी ने स्थापित किया था । मंदि
kamaksha devi temple , chindi , karsog कामाक्षा देवी मंदिर , चिंदी , करसोग
ममलेश्वर मंदिर से करीब दस किलोमीटर दूर करसोग घाटी के अनछुए प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए मै चलता गया और काओ नाम के गांव में पहुंचा जहां पर मुख्य सडक पर ही कामाक्षा देवी का मंदिर है । कहा जाता है कि इस मंदिर को परशुराम जी ने स्थापित किया था । मंदिर में माता की अष्टधातु की प्रतिमा है । मंदिर में प्रत्येक साल मेला होता है जिसमें भैंसे की बलि दी जाने की भी परम्परा रही है । हालांकि अब पिछले कुछ वर्षो से लोगो ने इसके विरूद्ध आवाज उठायी है और इसी कारण अब इस पर रोक भी लगाने की कोशिश प्रशासन द्धारा की जाने लगी है ।
इस मंदिर में भी जूतो के अलावा मोजे निकालने जरूरी थे । मंदिर के अंदर ज्यादा जगह नही है बस बीच में माता का मंदिर और उसके चारो ओर परिक्रमा पथ बना हुआ है । माता की मूर्ति के अलावा माता की चल डोली भी रखी हुई थी जो कि आसपास में लगने वाले मेलो के समय लोगो के दर्शनो के लिये ले जायी जाती है । पुजारी अच्छे स्वभाव के थे और उन्होने मुझसे काफी बात की जब उन्हे पता चला कि मै दिल्ली से यहां पर अकेला बाइक से आया हूं और कई दिनो से इतनी जगहे घूम चुका हूं तो वे काफी हैरान हुए । उन्होने मुझे विशेष रूप से प्रसाद लाकर दिया । वे हैरान थे कि कोई इतना अकेला कैसे घूम सकता है ?
मंदिर के आगे सुंदर चबूतरा बना है । मैने पुजारी जी से आगे के रास्ते के बारे में जानकारी की तो उन्हेाने बताया कि आपको रामपुर वाले रास्ते से जाना होगा और उसके लिये आपको वापिस पहले ममेल गांव यानि करसोग जाना होगा वहीं से एक रास्ता सीधे हाथ को कटेगा जो कि रामपुर को जायेगा
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करसोग और कामाख्या देवी के बीच का नजारा |
इस मंदिर में भी जूतो के अलावा मोजे निकालने जरूरी थे । मंदिर के अंदर ज्यादा जगह नही है बस बीच में माता का मंदिर और उसके चारो ओर परिक्रमा पथ बना हुआ है । माता की मूर्ति के अलावा माता की चल डोली भी रखी हुई थी जो कि आसपास में लगने वाले मेलो के समय लोगो के दर्शनो के लिये ले जायी जाती है । पुजारी अच्छे स्वभाव के थे और उन्होने मुझसे काफी बात की जब उन्हे पता चला कि मै दिल्ली से यहां पर अकेला बाइक से आया हूं और कई दिनो से इतनी जगहे घूम चुका हूं तो वे काफी हैरान हुए । उन्होने मुझे विशेष रूप से प्रसाद लाकर दिया । वे हैरान थे कि कोई इतना अकेला कैसे घूम सकता है ?
मंदिर के आगे सुंदर चबूतरा बना है । मैने पुजारी जी से आगे के रास्ते के बारे में जानकारी की तो उन्हेाने बताया कि आपको रामपुर वाले रास्ते से जाना होगा और उसके लिये आपको वापिस पहले ममेल गांव यानि करसोग जाना होगा वहीं से एक रास्ता सीधे हाथ को कटेगा जो कि रामपुर को जायेगा
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kamaksha devi temple , karsog |
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kamaksha devi |
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kamakhya devi temple |
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