इस जगह से अगस्तमुनि की दूरी 7 और केदारनाथ की दूरी 81 और टिहरी 85 किलोमीटर है । इसके बाद हम रूद्रप्रयाग पहुंचे जो कि पंच प्रयाग में से एक है । यहां पर घुसने से पहले
उखीमठ से हम लोग रूद्रप्रयाग की ओर जा रहे थे । यहां पर रास्ते में एक जगह पडती है तिलवाडा
यहां से ही वो रास्ता जाता है जिस पर मैने सबसे पहले बाइक से यात्रा की थी तो गंगोत्री से केदारनाथ जाने के लिये रास्ता चुना था जो तिलवाडा में होकर निकलता है और बीच में चौबटिया , घनस्याली और नचिकेता ताल से होकर आता है ।
बडा ही सुंदर रास्ता है और मै दोबारा फिर से उस रास्ते पर जाना चाहता हूं । कभी मौका मिला तो जरूर जाउंगा ।
यहां पर रूककर हमने परांठे का नाश्ता किया और परांठे इतने बढिया थे कि हमने चार चार परांठे खाये ।
इस जगह से अगस्तमुनि की दूरी 7 और केदारनाथ की दूरी 81 और टिहरी 85 किलोमीटर है ।
इसके बाद हम रूद्रप्रयाग पहुंचे जो कि पंच प्रयाग में से एक है । यहां पर घुसने से पहले एक सुंरग पडती है हमने बाइक वहीं पर खडी कर दी और मै नदी पर बने एक पुराने झूला पुल से होकर दूसरी साइड गया । यहां से प्रयाग का सुंदर नजारा दिख रहा था । जाट देवता प्रयाग की साइड चले गये जहां पर घाट बने हैं ।
रूद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी का संगम है । जहां मंदाकिनी के जल का रंग बिलकुल हरे रंग का है वहीं अलकनंदा का जल अपेक्षाकृत कम साफ है । यहां के संगम का काफी धार्मिक महत्व है । रूद्रप्रयाग में आकर सडक बंट जाती है एक सडक मंदाकिनी घाटी के साथ साथ केदारनाथ जाती है जबकि दूसरी अलकनंदा नदी के साथ साथ बदरीनाथ को चली जाती है । इस जगह पर दोनो नदियो का बहाव इतना तेज है कि उसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनी जा सकती है ।
रूद्रप्रयाग श्रीनगर से 34 किलोमीटर की दूरी पर है