अगली सुबह चमकदार थी । मुझे इतनी थकान थी कि मै आठ बजे सोकर उठा । अकेला था और कोई तैयारी नही करनी थी इसलिये आठ बजे भी कोई दिक्कत नही थी । मैन...
तभी सोनू का फोन आ गया कि कहां पर हो । मैने कहा कि मै तो होटल में ही हूं तुम कब आ रहे हो तो उसने बताया कि नौ बजे हम रोप वे के गेट के पास मिलते हैं । मैने अपना सामान समेटा और फ्रैश होकर गाडी के पास आ गया । यहां से गाडी लेकर रोप वे के गेट के पास पहुंचा जहां पर सोनू मुझे मिला । उसके साथ एक बंदा था जो कि मेरे साथ यात्रा में जायेगा । उसका नाम करन सिंह है और वो घाट के पास के गांव का रहने वाला है । सोनू ने मुझसे सामान के बारे में पूछा तो मैने उसे बता दिया कि मेरे पास राशन आदि सब है । कल सोनू को मैने मिटटी का तेल लाने को बोला था और वो उसे लेकर आया था । वहीं से सोनू ने करन को चश्मा और रस्सी दिला दी । उसके बाद हम लोग होटल पर गये और वहां पर परांठे आर्डर कर दिये । मैने दही के साथ और उन दोनो ने चाय के साथ परांठे खाये । हमने चार परांठे दोपहर के लिये बंधवा लिये । सोनू ने मुझसे पूछा कि आप औली तक कैसे जाओगे तो मैने बताया कि औली तक रोपवे से जायेंगें । गाडी के बारे में सोनू ने मुझे बताया कि गांधी मैदान में गाडी खडी करके जा सकते हो तो मैने बैंक आफ बडौदा के पास वाले रास्ते से गाडी को गांधी मैदान ले गया । जोशीमठ में इतना बडा मैदान भी होगा मुझे पता नही था ।
गांधी मैदान में पचासो गाडियां खडी थी । मैने भी अपनी गाडी वहीं पर खडी करके लाक कर दी और उसके बाद मै और बाकी दोनो औली के रोपवे पर पहुंचे । रोप वे पर सोनू ने बात की और हमारा दोनो का 750 रूपये में जाने का करा दिया । यहां पर एक आदमी का टिकट आने जाने का 750 है पर दो बंदो का जाने जाने का 750 हो गया । इससे हमारा रास्ता काफी कम हो गया । हम सीधे औली पहुंचेेंगें वो भी 20 मिनट में । औली के रोपवे से जाना हर बार मजेदार होता है और मै 4 महीने में दूसरी बार जा रहा था । औली के रोप वे से जाने के समय जोशीमठ की तरफ खडे रहना बढिया होता है और मैने वो सीट पहले ही पकड ली थी । रोप वे के स्टैंड से सोनू ने हमसे विदा ली । अब वो उस बंदे का इंतजार करेगा और हो सका तो हम कहीं पर कुंआरी पास के रास्ते में मिलेंगें । अभी तक मेरी करन सिंह से कोई बात नही हुई थी । साढे नौ बजे का समय था रोप वे का जबकि वो चला दस बजे के भी बाद । कोई तकनीकी खामी थी । उसके बाद बीच रास्ते में भी रूक गया थोडी देर के लिये ।
औली के रास्ते में नजारो की कमी नही है । उपर से देखो या नीचे से घूमकर आयो । पक्षीप्रेमियो के लिये तो ये स्वर्ग है । अगर औली तक पैदल आना पडे तो आपको बहुत सारी चिडिया दिखेंगी ।वैसे तो कुआरी पास जाने के कई रास्ते हैं और लार्ड कर्जन ने इस रास्ते को जब पहली बार पार किया तो जिस पास यानि दर्रे से इसे पार किया उससे पहले इसे किसी ने पार नही किया था इसलिये उसने अंग्रेजी में इसे वरजिन यानि कुंआरी कहा और इसी से इसका नाम कुआरी पास पडा । कुआरी पास करने के आज के समय में कई रास्ते हैं । कई लोग इसे तपोवन या ढाक गांव से शुरू करते हैं और कुआरी पास होकर वापस औली को आ जाते हैं ।
कुछ इसे औली से शुरू करके कुआरी होकर वापस ढाक गांव या फिर तपोवन से निकलते हैं और लम्बा करने वाले औली या तपोवन से शुरू करके कुआरी पास होकर घाट की तरफ निकलते हैं जिसमें कुआरी पास के बाद तीन दिन घाट तक पहुंचने में लगते हैं । इससे भी ज्यादा करने वाले कुआरी से होकर घाट और वहां से समुद्रशिला और जुनारगली होकर रूपकुंड होते हुए लोहाजंग तक जाते हैं और दो प्रसिद्ध रूट एक ही बार में कर लेते हैं । इसमें 15 दिन के आसपास लगते हैं । कम समय वालो के लिये औली या तपोवन से होकर कुआरी पास जाकर दूसरे रास्ते से वापस आना 4 दिन का ट्रैक है जो कि आजकल काफी लोकप्रिय है । मैने इसे ही चुना था और इसमें भी औली से करने की वजह है कि औली से आपको ज्यादा से ज्यादा समय तक हिमालय की सभी चोटियो का व्यू मिलता है जबकि तपोवन या ढाक गांव से शुरू करने पर आपको एक या दो दिन ही इनका व्यू मिलता है और अगर उसमें भी मौसम खराब हो जाये तो वो भी नही मिलेगा इसलिये औली से करना सबसे बढिया विकल्प रहता है ।
लेकिन मैने इससे ज्यादा नही पढा था और ना ही ध्यान दिया था क्योंकि पिछले दयारा से डोडीताल वाले ट्रैक में मुझे अपने साथ चल रहे लोकल बंदो की वजह से कोई दिक्कत नही हुई थी और मैने इस रूट पर भी ऐसा ही भरोसा अपने साथ चल रहे करन सिंह पर किया था पर ऐसा हुआ नही और वो क्यों इसे मै आगे बताउंगा
Kuari pass-
auli rope way ticket counter |
Karan singh |
view from auli rope way |
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Nanda devi |
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Hathi parvat |
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Ghodi parvat |