जैसलमेर में सोनार किला देखने लायक है और आप किसी से भी पूछो तो वो आपको बतायेगा कि राजा का महल अंदर से देखो पर मै कहता हूं कि आप यहां के जैन ...
यहां के पार्श्वनाथ मंदिर में 1253 मूर्तिया हैं इनमें देवी , देवता , वादक , वादिकाओ , हाथी , घोडा , सिंह , पक्षी आदि की मूर्तिया हैं । सुंदर बेल बूटे और मंदिर के मध्य में सफेद संगमरमर की तीर्थंकर की मूर्ति मुख्य रूप से देखने लायक है । खंबो के निचले भागो में हिंदू देवी देवताओ की भी मूर्तिया बनी हैं । ज्यादातर मंदिर कई मंजिले हैं ।
शांतिनाथ मंदिर और कुन्तुनाथ मंदिर जुडवा मंदिर हैं । इस मंदिर में उपर और नीचे तीर्थंकर की प्रतिमाऐं हैं और साथ ही अप्सराओ और गंधर्वो की भी मूर्तिया हैं । इनमें अप्सराओ को चेहरा संवारते , नृत्य करते , बालो में कंघी करते और बिंदी लगाते , आइना देखते हुए बनाया गया है जो कि मूर्ति शिल्प की पराकाष्ठा है । यही नही इन मंदिरो में सैकडो की संख्या में लगातार मूर्तिया भी लगी हैं तो चावल के दाने जितनी भी मूर्तिया हैं । इनमें से बहुत सारी जगह मूर्तिया नग्नावस्था में भी है जिसे देखकर खजुराहो के मंदिर भी याद आ जाते हैं । कला की दृष्टि से ये मूर्तियां उनके समकक्ष हैं ।
शीतलनाथ मंदिर और रिषभनाथ मंदिर में भी हिंदू देवी देवताओ की मूर्तियां स्तम्भो पर बहुतायत में हैं । राधाकृष्ण , शिव परिवार और अन्य देवी देवताओे को यहां पर उकेरा गया है । एक जगह तो तीर्थंकर महावीर के मंदिर के बिलकुल बगल में बालाजी का स्वरूप है जो कि मैने कहीं नही देखा ।
मंदिरो के इस समूह में जाने के लिये विदेशियो के लिये तो टिकट है पर भारतीयो के लिये कोई टिकट नही है बस अगर कैमरा ले जाना है तो 50 रूपये देने होंगें । मंदिरो में नंगे पैर जाना होगा और चमडे की कोई वस्तु नही ले जानी है ।बस इतना ही बता सकता हूं मै क्योंकि मै भी इन्हे देखता देखता थक गया था । इन मंदिरो में देखने के लिये इतना कुछ है कि पूरा दिन भी इनके नाम किया जा सकता है पर फिर वो रिसर्च मैटिरियल हो जायेगा यानि शोध पत्र तो बाकी आप खुद जाकर देखना कुछ मुख्य मुख्य चीजे मैने फोटो के माध्यम से दिखाने की कोशिश की है ।