eco park Map 2 अप्रैल 1970 को मेघालय को एक अलग राज्य बनाया गया । 21 जनवरी 1972 को एक पूर्ण राज्य के रूप में आया । मेघालय उत्तर एवं पूर्व...
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2 अप्रैल 1970 को मेघालय को एक अलग राज्य बनाया गया । 21 जनवरी 1972 को एक पूर्ण राज्य के रूप में आया । मेघालय उत्तर एवं पूर्व में असम से और दक्षिण और पश्चिम में बांग्लादेश से मिला हुआ है । मेघालय का शाब्दिक अर्थ मेघ + आलय यानि बादलो का घर है जो कि अपने नाम को शब्दश चरितार्थ करता है ।
मेघालय में तीन जनजातियां रहती हैं , खासी , गारो और जयन्तिया
इन्ही तीन जातियो के नाम पर तीन तरह की पहाडियां हैं खासी , गारो और जयन्तिया । इसी तरह तीनो की भाषाऐं भी इन्ही के नाम पर हैं ।
यहीं पर चेरापूंजी है जहां पर एक समय विश्व में सर्वाधिक वर्षा होने का रिकार्ड था और हम सबने बचपन में अपनी किताबो में पढा था । आज वो रिकार्ड चेरापूंजी के नाम तो नही रहा लेकिन वहीं पन्द्रह बीस किलोमीटर दूर मासिनराम में है । पर जो स्मृति चेरापूंजी की है वो इसकी नही क्योंकि अब तो किताबो में बच्चो की इन बातो के पाठ नही मिलते ।
नोहकालिकाई फाल को देखने के बाद हम लोग मावास्माई गुफा के पास पहुंचे । ये काफी लम्बी गुफा है और इसमें जाने पर रोमांच का अहसास होता है । गुफा के अंदर पानी टपकता रहता है । मेघालय के लोगो ने पर्यटको के घूमने का इंतजाम बढिया किया है । इस पूरे दिन के टूर में इतनी जगहे और विविधता देखने को मिली कि आनंद आ गया ।
ईको पार्क एक बढिया जगह है घूमने के लिये । इतना बडा पार्क है कि आपको घंटो लग जायेंगें घूमने में । पार्क में घुसते ही प्रति आदमी 10 रूपये और पार्किंग के 20 रूपये देकर गाडी पार्किंग में रोक दी । यहां पर चाय नाश्ते तथा हैंडीक्राफट की दुकाने हैं । यहां से हमने ज्यादातर ने कुरकुरे के पैकेट लिये । यहीं पर एक कमाल हुआ । लवी की बुआ जी की लडकी जो कि मेरठ में आई आई एम टी कालेज में लेक्चरार हैं डा0 रचना त्यागी वो यहां अचानक से मिल गयी ।
लवी हमारी शादी में ही उनसे मिली थी । एक बार को तो भ्रम सा हुआ कि दीदी यहां कहां पर फिर भी पूछ लेती हूं और पूछा तो सही निकला । पहचान तो हो गयी थी पर घर से दो ढाई हजार किलोमीटर दूर यूं ही घूमते फिरते कोई रिश्तेदार मिल जाये तो यकीन सा नही होता ।
खैर कुछ देर उनसे मुलाकात हुई । वे अपने पति के साथ घूमने आयी थी । साथ तो हो ही नही सकता था क्योंकि वे अलग पैकेज में थे और वे वापस जा रहे थे । उसके बाद हम लोगो ने ईको पार्क घूमना शुरू किया ।
पार्क में लोगो के मनोरंजन के काफी साधन हैं । पार्क के आखिरी किनारे पर खाई है बहुत गहरी और पार्क में से जितना पानी गिर रहा है वहीं पर जा रहा है । यहां पर वाटर फाल हैं , पुल हैं और बस प्रकृति के नजारे । कई बार तो ऐसी हालत हो जाती थी कि ना तो कुछ दिखायी देता था और ना ही फोटो खींच सकते थे ।
अब चलें अपने अगले स्थल की ओर
NORTH EAST TOUR-
eco park , cherrapunji , meghalaya |
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