शिमला की एक शाम शिमला में शाम को माल रोड पर घूमना मजेदार अनुभव होता है । वैसे तो मुझे ऐसे पर्यटको से भरे भीड भाड वाले स्थानो से बोरियत ...
शिमला की एक शाम
शिमला में शाम को माल रोड पर घूमना मजेदार अनुभव होता है । वैसे तो मुझे ऐसे पर्यटको से भरे भीड भाड वाले स्थानो से बोरियत होती है पर अब एक नयी वजह पैदा हो गयी है यहां पर घूमने की और वो है फोटो लेने की बीमारी । ऐसी सार्वजनिक जगहो पर आपको कुछ अच्छी फोटो मिल सकती हैं । कैसी ? अगर आपने थ्री इडियट देखी है तो आपने ये भी देखा होगा कि उसमें रैंचो को ढूंढते हुए दोस्त् जब शिमला जाते हैं तो पृष्टभूमि में ही सही वहां पर एक मुस्लिम व्यक्ति अपने साथ घूमने आयी कुछ महिलाओ का फोटो खींच रहा होता है जबकि वे सारी की सारी औरते बुर्के में हैं और उनकी केवल आंखे दिखायी दे रही होती हैं ।
हर फोटो कुछ कहता है जैसे एक स्कूल के बच्चे यहां पर आये हुए थे और उनमें से चार लडके इस पल को यादगार बनाने के लिये अपने टीचर के साथ फोटो खिंचा रहे हैं । छोटे छोटे बच्चो को बहलाने फुसलाने के लिये वहां पर काफी दुकानदार खडे हैं जिनमें से एक है जो पानी के बुलबुले उडा रहा है । एक बच्चे ने अपने मां बाप से काफी जिद की उस बुलबले वाले खिलौने को दिलाने की पर जब उन्होने अनसुना कर दिया क्योंकि उसके पिता तो उसकी मम्मी की फरमाइश सुनने में बिजी थे तो उस छोटी सी बच्ची ने उस दुकानदार द्धारा बार बार छोडे जा रहे बुलबुलो में ही खुशी ढूंढ ली और खुशी के मारे नाचना शुरू कर दिया । ज्यादातर बच्चे उस बुलबुले वाले से ही खुश थे । उनके चेहरे पर जो खुशी थी वो अनमोल थी और कहीं पर ढूंढने से भी नही मिल सकती थी ।
एक बंदे को कैमरा देकर मैने भी एक फव्वारे के सामने अपना एक फोटो खिंचवाया । अकेले होने का साइड इफैक्ट । शिमला में एक ही फोटो ? खैर मुझे अभी इंतजार था शिमला में माल रोड पर अंधेरा होने का ताकि आज मै मैन्युअल मोड में कैमरे से कुछ और अच्छे फोटो ले सकूं पर फिर मेरे ध्यान आया कि अंधेरा होने से पहले तो सूर्यास्त भी आता है और क्यों ना सूर्यास्त के फोटो लिये जायें जो कि बस होने ही वाला था
शिमला में शाम को माल रोड पर घूमना मजेदार अनुभव होता है । वैसे तो मुझे ऐसे पर्यटको से भरे भीड भाड वाले स्थानो से बोरियत होती है पर अब एक नयी वजह पैदा हो गयी है यहां पर घूमने की और वो है फोटो लेने की बीमारी । ऐसी सार्वजनिक जगहो पर आपको कुछ अच्छी फोटो मिल सकती हैं । कैसी ? अगर आपने थ्री इडियट देखी है तो आपने ये भी देखा होगा कि उसमें रैंचो को ढूंढते हुए दोस्त् जब शिमला जाते हैं तो पृष्टभूमि में ही सही वहां पर एक मुस्लिम व्यक्ति अपने साथ घूमने आयी कुछ महिलाओ का फोटो खींच रहा होता है जबकि वे सारी की सारी औरते बुर्के में हैं और उनकी केवल आंखे दिखायी दे रही होती हैं ।
हर फोटो कुछ कहता है जैसे एक स्कूल के बच्चे यहां पर आये हुए थे और उनमें से चार लडके इस पल को यादगार बनाने के लिये अपने टीचर के साथ फोटो खिंचा रहे हैं । छोटे छोटे बच्चो को बहलाने फुसलाने के लिये वहां पर काफी दुकानदार खडे हैं जिनमें से एक है जो पानी के बुलबुले उडा रहा है । एक बच्चे ने अपने मां बाप से काफी जिद की उस बुलबले वाले खिलौने को दिलाने की पर जब उन्होने अनसुना कर दिया क्योंकि उसके पिता तो उसकी मम्मी की फरमाइश सुनने में बिजी थे तो उस छोटी सी बच्ची ने उस दुकानदार द्धारा बार बार छोडे जा रहे बुलबुलो में ही खुशी ढूंढ ली और खुशी के मारे नाचना शुरू कर दिया । ज्यादातर बच्चे उस बुलबुले वाले से ही खुश थे । उनके चेहरे पर जो खुशी थी वो अनमोल थी और कहीं पर ढूंढने से भी नही मिल सकती थी ।
एक बंदे को कैमरा देकर मैने भी एक फव्वारे के सामने अपना एक फोटो खिंचवाया । अकेले होने का साइड इफैक्ट । शिमला में एक ही फोटो ? खैर मुझे अभी इंतजार था शिमला में माल रोड पर अंधेरा होने का ताकि आज मै मैन्युअल मोड में कैमरे से कुछ और अच्छे फोटो ले सकूं पर फिर मेरे ध्यान आया कि अंधेरा होने से पहले तो सूर्यास्त भी आता है और क्यों ना सूर्यास्त के फोटो लिये जायें जो कि बस होने ही वाला था
